Friday, 17 July 2015

INTERVIEW!! “बजरंगी भाईजान” कहानी का बैकड्रॉप भी धर्मनिर्पेक्षता को उजागर करता है” – निर्देशक कबीर खानBy lipika varma Mayapuri on July 17, 2015

INTERVIEW!! “बजरंगी भाईजान” कहानी का बैकड्रॉप भी धर्मनिर्पेक्षता को उजागर करता है” – निर्देशक  कबीर खान

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निर्देशक कबीर खान की शुक्रवार जिटर्स महसूस नहीं होते  है। किन्तु वह अत्यधिक आत्मविश्रास भी नहीं रखते है। पर अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश  करते है हमेशा। हालांकि फिल्म,”फैंटम” सैफ अली एवं कैटरीना  स्टारर  फिल्म पहले बनाई है उन्होंने  , किन्तु बजरंगी भाईजान  पहले रिलीज़ हो रही है । कबीर खान  भेंटवार्ता मायापुरी के लिए  लिपिका वर्मा की जुबानी पेश  है
आप अपनी फिल्मी यात्रा को कैसे देखते है ?
मैंने डॉक्यूमेंट्री फिल्मो से अपनी यात्रा 1994 से शुरू की थी। मेरा  तजुर्बा बहुत ही खूबसूरत रहा है . यह जरूर है कि मैं फिल्म के बैक ड्राप को भी जरूर देखता हू। फिल्म का बैक ड्राप हमेशा मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण  हिस्सा होता है ।  दरअसल में फिल्म का बैक ड्राप मेरे लिए एक किरदार होता है जिसके बिना मेरी फिल्म  अधूरी होती है। मैने लगभग 50 देशो की यात्रा सफलतापूर्वक की है ।  और हर देश से मैंने कुछ ना  कुछ लिया  द्वारा मैं पेश कोशिश करता हू।
ट्रेवल कल्चर को किस तरह अपनी फिल्मो से जोड़ते  है आप?
ट्रेवल कल्चर को जोड़े  बिना  लुक नजर नही आता है । अब मणिरत्नम की फिल्मो को ही  ले लो उसकी फिल्मो में कहानी  का बैक ड्राप अत्यत महत्वपूर्ण होता है। रियल लोकेशन से चरित्र को बहुत फयदा होता है। एक्टर भी उससे अपने आप  में  अच्छा प्रदर्शन कर पाता  है। बैक ड्राप की वजह से कहानी की अग्रभूमि पर भी अच्छा असर पड़ता है।
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सलमान को ट्रेवल पसंद नहीं है क्या?
जी हाँ !उन्हें बजरंगी भाईजान ”  के लिए  मैं बहुत सी जगह लेकर गया -पंजाब में चंड़ीगढ़  और फिर कश्मीर तक  ले गया और भी ढेर सारी लोकेशंस पर  शूटिंग को अंजाम दिया. बस इस बात को वो पसंद नहीं करते। लेकिन फिल्म के अंत में उन्होंने इस बात को समझा और मुझे से कहा – तूने मुझे सारी जगह घुमा दिया, पर सही में मुझे बहुत अच्छा लगा। और फिल्म में दिख पड़ता है लोकेशंस की वजह से फिल्म को जो उच्छल मिला है। अब यदि मेरा लोकेशन कश्मीर है तो कोई तुक नहीं  कि मैं शूट लंदन में करूँ।
जॉन के साथ कैसा समीकरण है आपका?
मैंने जॉन के साथ दो फ़िल्में की है। काबुल एक्सप्रेस और न्यूयॉर्क। मेरे  करियर में जॉन की एक खास जगह है। उन्होंने मेरी फिल्म काबुल एक्सप्रेस तब साइन  की- जब मेरे पास कोई भी प्रोड्यूसर  नहीं था।  जॉन के साइन  करने के बाद मैंने वय आर ऍफ़ के साथ बतौर निर्माता यह फिल्म साइन  की थी। जॉन और अरशद ने मेरा साथ तब भी नहीं  छोड़ा जब तालिबान से हमे मर्डर  की धमकियां मिल रही थी। यह दोनों अभिनेता मेरे साथ डट के खड़े रहे और हमने  इनके ही बल बुते पर काबुल एक्सप्रेस को अंजाम तक पहुँचाया था। यह में कैसे भूल सकता हूं। जॉन एक सहायक की तरह मेरे साथ हमेशा रहे। मेरे करियर मकसद एक महत्वपूर्ण  जॉन।
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सलमान  के साथ कैसा रहा काम करना?
जब मैंने  सलमान  के साथ एक था टाइगर फिल्म की थी , तब हमारी काफी चर्चा हुआ करती थी कहानी को लेकर.. किन्तु  उस फिल्म को करने के बाद हम एक दूसरे को बखूबी जान चुके थे । जब में बजरंगी भाईजान  लिख रहा था तभी मैंने यह निश्चय कर लिया था- कि यह कहानी सलमान  को ही सबसे पहले सुनाउंगा। क्योंकि  इस बात का एहसास हो गया था मुझे कि वो भी मेरी तरह सेकुलरिज्म (धर्म निष्पक्षता ) को महत्व देते है। हम दोनों इस फिल्म को करते वक़्त एक ही पेज पर हुआ करते -मसलन हम दोनों की सोच  बहुत मिलती रही सो कोई भी दिक्कत नहीं आई फिल्म को बनाने  मैं।  जैसा कि सलमान का  मानना है कि  हमारा ही एक ऐसा देश है जहां पर हर जाति के लोग  मिल झूल  कर रहते है। वह धर्मनिश्पक्षता के दृढ़ अनुयायी है  और मै  भी वैसा ही हू । सलमान की इन खूबियों को किसी ने भी कैश  नहीं किया  है. कहानी का बैकड्रॉप भी धर्मनिश्पक्षता को उजागर  करता है सो मैंने सलमान की इन खूबियों को बहुत अच्छी तरह से निचोड़ा है।
कुछ रुक कर कबीर ने अपनी और सलमान की कुछ एक सी आदतो के बारे में कहा -में भी वर्क आउट में विशवस रखता हू  ,सलमान भी वर्क आउट करते है ।  मुझे स्वादिष्ट खाना पसंद है तो सलमान भी स्वादिष्ठ खाना पसंद करते है। बजरंगी  भाईजान में हम दोनों ने  समेकित रूप  और बहुत मजे लेकर काम किया है । सर्वधर्म को मानने वाला भारत एकदम अलग है सो उसके सोशल फैब्रिक को ध्यान  में रख कर ही बजरंगी भाईजान  की कहानी लिखी गयी है और यह कहानी  सलमान को ही जचती  है।
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निर्देशक के साथ साथ आप लाइन प्रोड्यूसर भी है दोनों को संभालना कितना मुश्किल रहा?
जी हाँ लाइन  प्रोड्यूसर होने के नाते  लोकेशन जाने से पहले सब कुछ तय कर लिया जाता है ,मेरा  एक अच्छा दोस्त है जो प्रोडक्शन की सारी बातो को धायण देता और बहुत ही अच्छा काम किया है उसने. सलमान भी पहली बार निर्माता बने है किन्तु उनका भी एक भरोसे मनद व्यक्ति है जो सब कुछ देखा करता। सलमान बहुत ही अच्छे प्रोड्यूसर भी है। कोई ही चीस की कमी  उन्होंने सेट पर  फिल्म करने का अंदाज़ ही कुछ और है उनका वह फिल्मो के लिए आवेशपूर्ण भावना  से ही काम करते है।
क्या आप कुछ बदलाव करने में विश्वास रखते है सेट पर ?
बहुत रिजिड (कठोर ) नहीं हू। कुछ लाइन्स बदलनी हो या फिर थोड़ा बहुत बदलाव लाना हो तो जरूर  किन्तु मेजर चेंजेस  नहीं करता हू। क्योंकि फिर स्क्रीनप्ले  ढीला हो जायेगा। यदि कुछ कहानी  में रुकावट  हो तो उसको तुरंत बदल देता हू।
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सलमान  और आप के बीच पैसो को लेकर किस तरह का समझोता हुआ है ?
देखिये कुछ ऐसी चीज़ है जिसे हम पब्लिक नहीं कर सकते है। में लाइन  प्रोड्यूसर हू – मुझे और सलमान को बतौर  प्रोड्यूसर जो मिलना है वो जरूर मिलेगा।
हर्षाली के चयन में सलमना का कितना हाथ  था?
हमने  देल्ही ,चंड़ीगढ़ मुंबई में लगभग 1000 बच्चियों का ऑडिशन लिया था। यह  बच्ची सुंदर तो है ही किन्तु इसमें काम करने की लग्न और चाव होना बहुत जरुरी था। जो इस में हमने पाया। दरअसल हमे बहुत सी लोकेशंस पर शूटिंग करनी थी तो बच्ची के अंदर बोरियत आ जाती तो हम  काम नहीं कर पाते। इसीलिए हमने इस बच्ची का चयन किया।

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