INTERVIEW!! “देव साहब के शब्द आज भी मेरे कान में गूंजते है – “तुम जो भी हो उसे एन्जॉय करो” – तब्बू
By Mayapuri on July 15, 2015
गुलज़ार की माचिस , चाची 420 और कई सारी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से जानी जाती है तब्बू। किन्तु फिल्म ‘जय हो ‘से फिल्मो में वापसी की तब्बू ने। उन्हें फिल्म करने के बाद इस बात का भी एहसास हुआ कि मीडिया उनसे जरूर पूछेगी कि – यह फिल्म आपने क्या सोच कर की ? पर उनका ऐसा मानना है कि कुछ चीज़ करनी पड़ती है। खेर फिल्म ,’हैदर ‘में तो तब्बू ने वापस अपना कमाल दिखला ही दिया है। और अब फिल्म ,’दृश्यम’ की रीमेक हिंदी में अजय देवगन के बराबर में खड़ी है। जब की तब्बू ने फिल्म ,’तक्षक ‘मैं अजय के लव इंटरेस्ट का रोल निभाया था। तब्बू आज भी अपनी स्क्रीन प्रजेंस उपस्थिति से दर्शको का मन लुभाने में कामयाब होती है। एक अनूठी भेंटवार्ता में तब्बू ने ढेर सारे प्रश्नो का जवाब दिया लिपिका वर्मा को
आप ‘दृश्यम’ में फिर से एक इंटेंस किरदार में नजर आनेवाली है। कुछ बताएं?
जी हाँ में पुलिस कमिश्नर के रोल में नजर आनेवाली हू इस फिल्म में. जिस तरह पुलिस कर्मी के किरदार द्वारा में सब को अपनी उँगलियों पे नचा सकती हू, मैं यही सोचती हू -कि काश रियल लाइफ में भी मैं सब को अपने हिसाब से काम करवा सकती। पर इसके लिए मुझे रियल लाइफ में भी पुलिस महकमे में भर्ती लेनी पड़ेगी। हंस कर बोली तब्बू
दृश्यम हिंदी में रीमेक की गयी है क्या अलग नजर आएगा इस फिल्म में ?
रियल लाइफ में – मै पुलिस वालो से दूर ही रहना चाहती हू। हिंदी दृश्यम में उसकी लोकेशन कोस्टल महाराष्ट्र है सो डायलॉग्स लोकेशंस से जुड़े है। और निर्देशक निशिकांत कोंकण महाराष्ट्र के बारे में वाकिफ है तो जाहिर सी बात है बहुत कुछ अलेदा दिख पड़ेगा इस फिल्म में। जगह का फ्लेवर एवं उस क्षेत्र रीजन का भी फ्लेवर फिल्म में नजर आएगा। हर किरदार को उस रीजन से जोड़ कर ही देखा जायेगा ,उसके डायलॉग्स भी उसी तरह के है। पहनावा उड़ावा भी वही से मिलता जुलता है।
कहानी के बारे में कुछ बताएं ?
यह एक बहुत ही साधारण परिवार की कहानी है। किस तरह अपनी बेटी की वजह से इस परिवार पर एक मुसीबत आन पड़ती है और जो कुछ भी वो करते है अपने बचाव में क्या वही सब ही उन्हें करना चाहिए ? और ऐसी स्थिति में अन्यथा क्या कुछ हो सकता है। इसकी कहानी बहुत ही तीव्र भावनाओ से प्रेरित है। थ्रिल एवं ड्रामा भी देखने को मिलेगा इस फिल्म में। लोगो की सहानुभूति इस साधारण परिवार से हो सकती है। लेकिन पुलिस कमिश्नर भी कितनी कड़ाई से इस कहानी की जाँच पड़ताल कर रही है यह भी आपको देखने को मिलेगा।
इस फिल्म में आपका किरदार ग्रे शेड का है क्या ?
जी नहीं ,ऐसी कोई खसियत नहीं है मेरे किरदार में। यह सब तो टर्म्स दे रखे है आप लोगो ने। दरअसल में कितनी मशकत से यह पुलिस कर्मी अपनी कुछ खो चुकी वस्तु को ढूंढ रही है और उसे वापस पाने के लिए क्या कुछ नहीं करती है वो यह देखने लायक है। और यह परिवार किन यातनाओ को सह कर भी किस तरह जीवन जी रहा है यह भी देखना होगा आपको। हर शख्स अपने परिवार के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है – यह भी कबीले तारीफ है फिल्म में। फिर परत दर परत किस तरह उस एक होनी या अनहोनी का खुलासा होता है और फिर क्या बदलाव आता है सब किरदारों में कहानी को बहुत रोचक बनाती है।
आप आवर्ड मिले ऐसी इच्छा रखती है ?
जी नहीं मैं कोई भी किरदार यह जेहन में रख कर नहीं करती हू कि मुझे आवर्ड मिलना चाहिए बस मैं इस बात का ध्यान रखती हू कि में अपने किरदार को अच्छी तरह से कर पाऊं। आवर्ड अगर मिलता है तो अच्छा ही लगता है।
आप अपने किरदार द्वारा फिल्म ,’दृश्यम ‘में क्या नया लेकर आने वाली है ?
यह सच है कि हम सब जो भी किरदार निभा रहे है वो हमारी पर्सनेलिटी के हिसाब से ही दिख पड़ेगा और फिर हम चाहेंगे की इस किरदार को हम निर्देशक ने जिस तरह से देखा है उस पर खरे उतरें। जो कुछ भी कोंकण क्षेत्र से लिया गया है उसे हम सबने बखूबी निभाने की कोशिश की है। निर्देशक निशिकांत का भी अपना अंदाज़े बयां लोगों को अवश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है।
तो क्या यह साबित होता है की साउथ की रीमेक बना रहें है बॉलीवुड वाले तो उनका कंटेंट हमसे बेहतर है ?
यह मैं नहीं कह सकती कि साउथ का कंटेंट अच्छा है या फिर बॉलीवुड का ? कहानी तो कहानी ही होती है, उसे अच्छी तरह पेश करना होता है और जो कहानी अच्छी है वो हिट ही होगी। किसी भी क्षेत्र की संस्कृति को लेकर ही कहानी बनाई जाती है। और फिर उस क्षेत्र से जुड़े पहनावा इत्यादि को अच्छी तरह पेश करना होता है। सिनेमा हम सब के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है फिर जो कुछ बेहतर पेशकश हो वही मन को भाता है। हम सब मिल जुल कर मेहनत करते है और अपना बेस्ट देने की कोशिश करते है। सिर्फ साउथ और हिंदी में फर्क दिखलाना नहीं है हमे अपितु अच्छा काम करना है। कौन नहीं चाहता की उनकी फिल्म हिट ना हो ? हर कोई यही सोच कर मेहनत करता है कि उसकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा दिखला पाये।
आप कोई बायोपिक करना चाहेंगी?
जी हाँ ,मैं रानी की झाँसी का किरदार निभाना चाहूंगी . लेकिन वो तो कंगना कर रही है? ” तो प्लीज यह जवाब वापस ले लेती हू! मुझे कोई भी बायोपिक करने का आज तक ऑफर नहीं मिला है।
फिल्मी परदे पर आपकी जर्नी को कैसे देखती हो ?
मेरी फिल्मी यात्रा मेरे लिए बहुत ही पुरुस्कृत रही । मुझे बेहतरीन निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला। फिर चाहे वो देव साहब हो।, गुलज़ार,विशाल इत्यादि। मेरे सभी निर्देशकों को मुझ पर बहुत ही विश्वास था और मैं उनके विश्वास पर खरी उतरी यही मेरे लिए मेरी जीत है। मैंने अपनी फिल्मी यात्रा में बहुत कुछ सीखा है। आज भी मैं ग्रो कर रही हू। मेरे हर निर्देशक ने मुझे खुला छोड़ दिया था कैमरे के सामने। तब मैंने यह निश्चय कर लिया कि जो कुछ करना है मुझे अपने बल बुते पर ही करना है तो फिर मैंने जो कुछ भी किया वह पत्यक्ष है। जैसे ही आप ऑर्डिनेसेस के सामने अपनी एक इमेज बना लेते है तो उसे निभाना भी होता है आपको। इस चीज को कायम रखना बहुत कठिन होता है , मै ऐसा कर पाई, मुझे ख़ुशी है। दरअसल में ,मै एक्टिंग नहीं करती हू मैं जो कुछ भी करती हू अपने दिल से उस वक़्त कर जाती हू जिसका मुझे भी आभास नहीं होता है। आपकी अपनी शख्सियत पर्दे पर उतर ही जाती है। में अपने दर्शको को लुभा पाई अपने अभिनय से बात की ख़ुशी है मुझे। मेरी फिल्मी यात्रा बहुत ही सुखमय रही है और मैंने इस यात्रा को बहुत ख़ुशी ख़ुशी आगे बढ़ाया भी है। बस आशा करती हू यह सब ऐसे ही रहे और में हमेशा लोगो को ख़ुशी दे पाऊं।
देव साहब के बारे में कुछ बताएं ?
जब मैंने देव साहब के साथ पहली बार काम किया था तब मैं बहुत ही छोटी थी । किन्तु कुछ वर्षो बाद जब मुझे देव साहब- जिनका एक कमरा सन एंड सैंड में हमेशा बुक रहता था, हम सब अभिनेताओं को कॉफ़ी पर यही बुलाते थे मिलने के लिए। तब मुझे उन्होंने यह कहा था- हमेशा अपने मन की सुनो और वही करो जिस में तुम्हे ख़ुशी मिलती हो तो तुम ज़िन्दगी में बहुत आगे बढ़ोगे। उनका आत्मविशवास ही था जो उन्हें हमेशा अपने काम में शामिल रखता था और वो हमेशा कुछ न कुछ करते ही रहे। उनके शब्द आज भी मेरे कान में गूंजते है – तुम जो भी हो उसे एन्जॉय करो!! अपने काम में व्यस्त रहना उनके लिए बहुत अच्छा माहौल पैदा करता। मैं ने जो कुछ भी उनसे सीखा , मैं उनकी इज्जत करती हू।
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