Monday, 27 July 2015

बस इन्हीं वजहों से मज़हबी झगड़े तूल पकड़ते है – पुलकित सम्राटBy lipika varma Mayapuri on July 27, 2015

बस इन्हीं वजहों से मज़हबी झगड़े तूल पकड़ते है – पुलकित सम्राट

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पुलकित सम्राट ने बॉलीवुड में अपनी पहली फिल्म ,”फुकरे ” से ढेर सारी तारीफ तो बटोर ही ली थी, और आज वो जाने माने  अभिनेताओं की श्रेणी में आते है। बहुत जल्द अपनी अगली फिल्म,”बंगीस्तान” में वह रितेश देशमुख के साथ नज़र आनेवाले है। पुलकित ने बहुत ही कम समय में फिल्मी पर्दे पर अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली है, किन्तु आज भी वो किसी मंझे हुए कलाकार के सामने काम करने से थोड़ा सा ड़रते है।
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तो कैसे खुले आप रितेश के साथ, “बंगीस्तान “करते हुए?
जी हाँ! रितेश की कॉमिक टाइमिंग के बारे में तो सब जानते है। सो मुझे उनसे थोड़ा सा डर लगना तो लाजमी ही था। किन्तु रितेश इतने सरल स्वाभाव के एक्टर है कि उनके साथ पहली बारी स्क्रीन शेयर करते वक़्त मुझे ऐसा नहीं लगा कि मैं उनके साथ पहली दफा काम कर रहा हूं। दरअसल वो एक सीनियर एक्टर है, मैं कुछ कम बातें करता हूं जबकि वो काफी बातें करते है, यहीं वजह से हम बहुत जल्द घुल मिल गए। ”
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वह भी बहुत कम बातचीत करते है। एक पाइंट पर बात करने के बाद हम दोनों चुप हो जाते है,
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आप फ़िल्में कैसे चुनते है ?
सबसे पहले में स्क्रिप्ट को तवज्जो देता हूं उसके बाद निर्देशक कौन है ये देखता हूं, और फिर आखिरी में ये देखता हूं कि किस प्रोडक्शन हाउस के तले फिल्म बनने जा रही है। यदि यह सब चीज़े सही मालूम होती हैं तो मैं उस फिल्म का हिस्सा जरूर बनना पसंद करता हूं।
फिल्म की कहानी क्या है ?
यह एक मजेदार एवं व्यंगात्मक  कहानी है। महत्वपूर्ण मुद्दो को इस फिल्म में दिखाया गया है। कट्टरवादी दस्ते किस तरह इन चीज़ों को टेररिज्म से जोड़ते है इसे बहुत ही हल्के फुल्के तौर से दिखाया है फिल्म में।
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आप किस मजहब को मानते है ?
मैं किसी भी एक भगवान को नहीं मानता हूं । मेरे लिए कोई ऐसी शक्ति है जो धरती को कंट्रोल करती है और मैं उसे मानता हूं उसी को अपना भगवान मानता हूं। फिर चाहे मैं गुरुद्वारा चले जाऊं उसकी खोज में या फिर मंदिर, मस्जिद या फिर चर्च में भी उससे मिलने चले जाऊं। मेरा परिवार इन सब को मानते चला आया है। फिर चाहे हम पर्वत पर जाकर संतुष्टि पा ले। पवित्र किताबों में जैसे जैसे सदी बदलती है उन की लिखावट में यानि व्याख्यान भी बदलते जाते है। यह वह लोग करते है जो पवित्र किताबों को समय समय पर अनुवाद करते है। बस इन्हीं वजहों से मज़हबी झगड़े तूल पकड़ते  है।
आप सब के साथ आसानी से मिलजुल जाते है या फिर कुछ दिक्कत का सामना करना पड़ता है ?
जी नहीं मैं बचपन से ही कुछ शर्मिलां हूं बहुत जल्दी सब से खुल कर बात नहीं कर पाता हूं कुछ समय तो लगता है मुझे दुसरों के साथ मिलने जुलने में। कभी कभी आप स्क्रिप्ट पसंद ना करते हो किन्तु उन के साथ काम करने में आराम महसूस करते हैं तो भी हामी भर देते हैं उस फिल्म को। दूसरे वर्क शॉप्स करने के बाद भी आप एक दूसरे से वाकिफ हो जाते है तब भी कम्फ़र्टेबल महसूस करते है।
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आप बचपन से ऐसे ही हैं क्या?
जी हाँ- बचपन से ही में थोड़ा शर्मीले किस्म का बच्चा  रहा हूं। किन्तु यदि मैं उनके साथ काम कर चूका हूं तो फिर मुझे कोई दिक्कत नहीं महसूस होती है। हंस कर बोले,” दरअसल – मैं खाने का बहुत शौकीन हूं और जो कोई इस तरीके शौक को पालता है उससे मेरी दोस्ती जल्दी हो जाती है। रितेश घर से थेपले लेकर आये थे हम लोग पोलैंड में शूट कर रहे थे तब मैंने यह थेपले खा कर खूब आनंद लिया। मैं रितेश और करन के लिए कई बारी, जब मेरी शूटिंग नहीं हुआ करती थी तब उनके साथ खाने के लिए इंतजार भी किया करता था।
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मुंबई आपको रास आई ?
बिल्कुल मुंबई ने मुझे वापस नहीं जाने दिया। जब से मैं आया हूं मुझे फिल्मे मिलती रही।
आपकी अगली फिल्म कौन सी है ?
मेरी अगली फिल्म,”सनम रे ” एक रोमांटिक फिल्म है।
फुकरे २ में भी आप काम करने वाले है ?
अभी तक मैनें इस बारे में कुछ नहीं सुना है।

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