Monday, 6 July 2015

INTERVIEW!! “लोगो की प्रशंसा मेरे लिये अवार्ड से भी ऊपर ” – शेफाली शाहBy lipika varma /Mayapuri on July 6, 2015

INTERVIEW!! “लोगो की प्रशंसा मेरे लिये अवार्ड से भी ऊपर ” – शेफाली शाह

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हालांकि शेफाली शाह  के पति विपुल  शाह का खुद का प्रोडक्शन हाउस है और उन्होंने एक के बाद एक हिट फ़िल्में दी है किन्तु शेफाली को उनसे काम मांगना बिलकुल अच्छा नहीं लगता है और तो और वो प्रोडक्शन भी नहीं करना चाहती है- जी हाँ हम दोनों एक दूसरे की बहुत इज्जत करते है ,जहां तक रहा काम करने का सवाल तो में यह जानती हू कि यदि  मेरे लायक कोई किरदार होगा तो वो मुझे जरूर देंगे. और जहां तक रही प्रोडक्शन संभालने की बात तो में यह आपको बतला दूँ  कि मैं एक क्रिएटिव पर्सन हू सो मुझे प्रोडक्शन संभालने  में जरा भी दिलचस्पी नहीं है। पर हा घर के खर्चे  का जिम्मा सब मेरे ही ऊपर रहता है यहा  तक की विपुल की जेबखर्ची भी में ही उन्हें देती हू। पर यदि कोई बड़ा खर्चा करना हो तो हम दोनों की सलाह से ही होता है। ”
दिल धड़कने दो में कमाल  का इमोशंस दिखाया है  आपने यह सब कैसे कर पाती है आप ?
क्योंकि मुझे और कोई तरीका नहीं पता है। कई बारी मैं अपने आप से यह सवाल करती हु की-काश मुझे एक्टिंग करनी आती ? मैं सिर्फ दिल से महसूस करती हू और जो कुछ भी निकलता है वो पर्दे पर देखते है आप. बहुत दफा  तो आप के अंदर इमोशंस जग्रात ही नहीं हो पाते  है और आपको कैमरे  के सामने सब कुछ करना पड़ता है। पर में खुशकिस्मत हू की मेरी भावनाओ ने मुझे कभी धोखा नहीं दिया है और मैं जब भी केमरे के सामने आई हूं बड़ी आसानी से वो सब कर जाती हूं जो मेरे चरित्र चित्रण को दर्शाने के लिए मुझे करना होता है।
कुछ सोच  कर बोली ,”तो क्या में इस दशा में हमेशा  ही रहती हू-नहीं ! अब मेरे किरदार नीलम को ही ले लीजिये जैसे ही कैमरा ऑन होता है में अपने किरदार नीलम मेहरा  को अपने अंदर बसा लेती हू तब में शेफाली नहीं होती। लेकिन यह भवनात्मक दृश्य करने के बाद जब में पूरी खोखली हो जाती हूं तब मुझे अपने लिए कुछ पल चाहिए होते है। एकांत में रह कर मैं फिर से नार्मल हो जाती हू। पर इस बात की ख़ुशी भी होती है मुझे कि मैंने अपना इस शॉट को सबसे बेस्ट दिया है।
Vipul Shah,Shefali Shah with kids at Equation Sports auction
आप स्विच ऑन  और स्विच ऑफ एक्टर की श्रेणी में आती है क्या?
नहीं ! बिकुल भी नहीं ,यदि एक सीन में  मुझे हंसना है और दूसरे में रोना धोना है तो मुझे कुछ समय बाहर जाकर अपने आप को नार्मल करना पड़ेगा। हर अभिनेता समय समय पर ग्रो करता है। मुझे यह भी नहीं पता होता है कि मैं यह लाईन  कैसे बोलूंगी पर जब चरित्र में उतर जाती हू तो जो कुछ भी होता जाता है में  करती जाती हू।  निर्देशक ,”एक्शन” बोलता है बस में अपने किरदार में घुस  जाती हू और बाद में मुझे खुद को यह नहीं बता होता है कि मैने क्या किया है ?
अनिल कपूर ने भी यह कहा है किसी इंटरव्यू में कि  शेफाली क्या करती है कब करती है पता नहीं जलता है। क्या कहना चाहेंगी ?
जी हां मैंने भी पढ़ा है। वह सही कह रहे है जब ब्लॉकिंग होती है किसी सीन की तो हमें अपने मार्क पर जरूर जाना होता है और अपने आखिरी क्यों भी सामने वाले एक्टर को सही  देना होता है  पर जब मैं किरदार में जाती हू मुझे यह खुद नहीं  पता  होता है  कि में कब रो पडूँगी? किसी भी लाइन या इमोशंस की तीव्रता कितनी दे पाऊँगी? यह भी नहीं जानती हू मैं पर इस बात का ध्यान  जरूर रखती हू की सामने वाले एक्टर को सही क्यों दू। यह सही कहा  है अनिल जी ने कि  मैं रिहर्सल में कुछ करती हू तो टेक में कुछ और। पर मेरे सीन में वो जादुई तत्व जरूर उभर के दिख पड़ता है, बस में नहीं होता है।
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कमर्शियल फिल्म्स के बारे में क्या कहना चाहेंगी ?
बिल्कुल कमर्शियल फिल्म सब देखने जाते है इस में कोई दो राय नहीं है। मुझे कमर्शियल फिल्म्स का हिसा बनना जरूर पसंद है।  लास्ट लेयर एक  आवर्ड विनिंग फिल्म रही पर इस फिल्म को कितने लोगो ने देखा होगा ? और मेरी फिल्म। “दिल धड़कने दो को ऑडियंस से लेकर  निर्देशक निर्माता सभी ने देखी  है। इस फिल्म को बहुत अच्छा रिस्पांस  मिला है।  मैं अमूमन फिल्म की कहानी और अपने चरित्र से प्रभावित हो कर ही फिल्म का चयन करती हूं।  फिल्म ब्रदर्स  में मेरा बहुत छोटा सा किरदार है पर यह किरदार रिस्तो को जोड़ता है सो मैंने इस किरदार के लिए  तुरंत हाम्मी  भर दी।
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आवर्ड पाना आपके लिए कितना मायने रखता है ?
पता नहीं ? मैंने कभी भी यह सोच कर काम नहीं किया है कि मुझे आवर्ड मिलेगा! मेरे लिया फिल्म को करना मेरी उत्तेजना का हिस्सा है । और फिल्म खत्म  होने के बाद मुझे उसके बारे में सोचना  भी पसंद नहीं है। यह जरूर है जब हम फिल्म कर रहे होते है तो में उसमें पूरी तरह से शामिल हो जाती हू . और ज्यों ही फिल्म खत्म होती है मेरे लिए उस फिल्म का अंत है  फिर मुड़के उसके बारे में ख्याल भी नहीं करती हू मै।
जावेद जी ने फिल्म देखने के बाद मुझे कहा  “कितने शेल्फ बनोगी अवॉर्ड्स के लिए ” उन्हें मेरी फिल्म दिल धड़कने दो में मेरा किरदार   इतना पसंद आया। बस यह जुमला उनका मेरे लिए कोई आवर्ड से कम नहीं है।
आप विपुल का प्रोडक्शन कभी संभालेंगी ?
जी नहीं प्रोडक्शन मुझे समझ में नहीं आता। ज्यादा से ज्यादा मैं स्क्रिप्ट पढ़ लेती हू या फिर एडिटिंग देख लेती हू लेकिन प्रोडक्शन करना मेरी बस का नहीं है में एक रजनात्मक बुद्धिजीव हू सो अभिनय करना मुझे अच्छा लगता है।

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