INTERVIEW!! हेमा मालिनी आज भी अपनी, ” ड्रीम गर्ल” की इमेज से सब के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह बना ही लेती हैं
हेमा मालिनी अपना 67 वां जन्मदिन मना चुकी हैं, किन्तु उन्होंने आज भी अपनी खूबसूरती कायम रखी हुई है। ” ड्रीम गर्ल” की इमेज से सब के दिलों में अपनी एक ख़ास जगह बना ही लेती है वो। लाखों करोड़ों फैंस उनकी एक ही मुस्कान पर लट्टु हो जाते हैं। जिस समय हेमा ने बॉलीवुड में एंट्री की थी तब यह निश्चित हो गया था कि उस समय की हिरोइन्स को टक्कर देने साउथ से यह ड्रीम गर्ल पधार चुकी हैं। फिल्म, “बाग़बान” में अपने दमदार अभिनय से सब को मंत्रमुग्ध करने वाली हेमा मालिनी ” जया -स्मृति” का आयोजन नहीं कर पाई। “जी हाँ, इस साल १५ नवंबर को “जया -स्मृति” का आयोजन किया गया है। इस प्रोग्राम में हम बेहतरीन क्लासिकल नर्तिकियों को मौका दे रहे हैं- ताकि वह अपना हुनर लोगों के समक्ष दिखा सकें।
पेश है हेमा की -लिपिका वर्मा के साथ एक भेंटवार्ता
आप अपने फिल्मी और पर्सनल सफर से कितनी संतुष्ट है ? अपनी खूबसूरती का राज भी बतायें ?
खूबसूरती का राज तो मैं खुद नहीं जानती हूं। मैं अपने सफर पर चलती जा रही हूं और जो कुछ काम मुझे सौंपा जाता है, उसमें अपना बेस्ट देना चाहती हूंI इस ज़िन्दगी में मेरे अलग अलग रिश्ते मैंने बखूबी निभाने की कोशिश की, फिर चाहे वो बेटी का हो, माँ होने का हो या पत्नी का और अब नानी होने का भी फर्ज निभा रही हूं। मैंने हर रिश्ते को बहुत ही सरलता से लिया है और उसे निभाने की कोशिश भी की है। मेरा पारिवारिक जीवन साधारण नहीं रहा है। मैंने अपने जीवन के हर पल को एन्जॉय किया है। घर पर नहीं बैठी हूं मैं। डांस ने मुझे बहुत सपोर्ट दिया है।”
नानी है आप अब क्या कहना चाहेंगी आप?
यह एक नया रिश्ता है और मुझे एहसास नहीं था कि यह रिश्ता इतनी ख़ुशी दे सकता है। मेरे नाती का नाम डेरियन है जब भी यहाँ पर होता है वह मेरे कमरे में आता जाता रहता है। उसके साथ खेलने में बहुत आनन्द आता है। मुझे अपनी बच्चियों का बचपन याद आ जाता है। जब भी मैं काम से लौटती तो मेरी दोनों बेटियाँ दौड़ कर आती और मेरे गले लग जाती। आज भी वही सोच रही है अहाना, जो सालों पहले मेरे विचार हुआ करते। एक दिन अहाना मेरे पास आई और कहने लगी माँ यह केयर टेकर मुझे मेरा बेटा गोद में नहीं लेने देती है। सो बड़ा होकर वह मुझ से प्यार तो करेगा ना ? ठीक ऐसे ही कुछ मेरे भी विचार हुआ करते और मेरी माँ भी यही कहती, ” तुम चिन्ता मत करो बच्चे हमेशा माँ को बहुत प्यार करते हैं, माँ से बच्चों को बहुत लगाव होता है”
दो वर्षों बाद आप जया -स्मृति का आयोजन कर रही है। इतना अंतर क्यों ?
जया स्मृति को दो साल बाद पूर्णजीवित कर रही हूं, क्योंकि, राजनीति से फुर्सत नहीं मिल पाई। मेरी माँ एक कला प्रेमी थी। आज जो कुछ भी मैं हूं सिर्फ उन्ही की वजह से हूं। यदि मैं अच्छी नर्तकी ना होती तो आज मुझे फिल्मी दुनिया से इतना प्रेम नहीं मिलता। और ना ही मैं, “हेमा मालिनी” कहलाती। मेरा नृत्य देख कर ही फिल्मकारों ने मुझे अपनी फिल्मों में अच्छे किरदार भी दिए। बहुत सारे कला प्रेमी मेरी माँ के पास आया करते और उन्हें नाच से जोड़ने की मांग करते। मेरी माँ मुझे एक बेहतरीन नर्तकी के रूप में देखना चाहती थी। सो यह कार्यक्रम उनकी याद में मनाया जाता है और नये कलाकारों को इस मंच द्वारा मौके मिले इसलिए उन्हें हम यह मंच, उनकी कला प्रदर्शन हेतु देना चाहते हैं। नई प्रतिभाओं को मौका देना चाहती हूं मैं।
क्या आप और ईशा व अहाना भी इस मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करेगी ?
जी नहीं, ना मैं डांस करने वाली हूं और ना मेरी बेटियाँ परफॉर्म करेंगी। दरअसल में हम सब कुछ कर चुके हैं। मुझे अपने बच्चों को प्रमोट नहीं करना है। अपितु ऐसे कलाकारों को प्रमोट करना है जिन में प्रतिभा कूट कूट कर भरी हुई है।
उन प्रतिभाओं के नाम बतायें और क्या बॉलीवुड नृत्य होंगे इस मंच पर ?
दो नर्तकी और एक संगीतकार अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले है इस मंच पर। दरअसल में क्लासिकल कला जैसे मरती ही जा रही है। हम, हमारी कला और संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं। हमारी फिल्मों में भी कोई भी क्लासिकल नृत्य नहीं पेश किया जाता है आजकल। इस बात का खेद है मुझे। बाहर के देशों में भी बॉलीवुड नृत्य को ही हमारी कला समझा जा रहा है। हम चाहते हैं हमारी कला और संस्कृति जिन्दा रहे हमेशा।
आपकी पसंदीदा डांसर कौन है ?
दीपिका बहुत अच्छा नृत्य करती है। ऐश्वर्या भी बेहतरीन नर्तकी है और कथक डांस भी अच्छा खासा कर लेती है वह।
ईशा और अहाना क्या आपके नृत्य की बागडोर संभालने वाली है आगे ?
मैंने उन्हें क्लासिकल डांस सिखाया है और वो दोनों ही अच्छी नर्तिकी भी है। वो दोनों नृत्य के प्रति समर्पित भी है। मैंने राधा और मीरा नाच भी निभाया है। हर कलाकार अपनी तरह से इन डांसेज को बना सकता है। इस कला की मैं रक्षा कर रही हूं ताकि हमारी यह कला खत्म ना हो जाये। अब यह तो उन्हें सोचना होगा! ईशा कला को पसंद करती है और यदि वो चाहे तो इस बागडोर को आगे भी ले जा सकती है।
आप अब टी वी शोज क्यों नहीं बना रही है
टी वी शो बनाना बहुत महंगा हो गया है और ऊपर से इतने लोग टी वी के दफ्तर में बैठते हैं कि सब के सब अपने हिसाब से बदलाव करवाने की चेष्टा करते हैं और जब उनके हिसाब से हम भी काम करने को राजी हो जाते है, किन्तु जब शो फ्लॉप होता है तो कारण समझ नहीं आता है उन्हें।
मैंने, “माटी के बन्नो” नामक एक सीरियल किया था। जिसमें वहां पर बैठी लड़कियों ने मुझे फेर बदल करने को कहा और सीरियल फ्लॉप हो गया। फिल्म मैं आज भी निर्देशित कर सकती हूं किन्तु अपना पैसा नहीं लगाना है मुझे। फाइनेंसर मिले तो बना लूंगी फिल्म कभी।
अपने प्रोडक्शन तले और फिल्में नहीं बना रही है आप ?
टेल मी ओ खुदा बनाई थी किन्तु निर्देशक अच्छा नहीं था। पहले देव साहब, गुरु दत्त जी एवं रमेश सिप्पी वगैरह स्वतंत्र फिल्मकार हुआ करते और अपनी फिल्में खुद ही रिलीज भी किया करते। आजकल कॉर्पोरेट का ज़माना आ गया है। सो सब को उन पर ही निर्भर होना पड़ता है। सब के अपने अपने विचार होते हैं कहानी में भी वो लोग दखल अंदाज़ी करते है। क्या काम करें, कैसी फिल्म चलेंगी यह समझ नहीं पाते हैं लोग। बस इन्ही सब वजहों से में सोचती ही रह जाती हूं। दरअसल में यदि किसी का अच्छा समर्थन मिले तो मैं फिल्म बनाने की सोचूं।
मथुरा वासियों के लिए आप क्या कुछ कर रही हैं ?
मथुरा के किसानों के लिए और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए बहुत कुछ कर रही हूं। मुझे आज लगता है कि रमेश जी ने कितनी अच्छी कहानी शोले द्वारा दिखायी थी लोगों को। आज जाकर, जब में गांवो में करती हूं तो पता चलता है कि वो लोग कितने सीधे होते हैं। एक आदमी ने मेरे पास आकर पुछा, “सुसाइड” का क्या मतलब होता है ? गावों की उन्नति हेतु स्कूल -कॉलेजेस एवं हॉस्पिटल खोलने के लिए ज़मीन हेतु पार्टी से ऊपर उठ कर विचार किया है मैंने। अखिलेश यादव ने अपना समर्थन भी देने की हामी भर दी है। शिक्षा अनिवार्य है और लड़कियों के लिए स्कूल भी खोलने के विचार है। उनके लिए डांस क्लासेज भी खोल रही हूं।