Monday, 2 November 2015

“मैं सलमान खान की तरह सेक्सी नहीं हूं, पर जो हूं अपनी तरह से सेक्सी हूं।” रणदीप हुड्डा/lipika varma

INTERVIEW!! “मैं सलमान खान की तरह सेक्सी नहीं हूं, पर जो हूं अपनी तरह से सेक्सी हूं।” रणदीप हुड्डा

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INTERVIEW!! “मैं सलमान खान की तरह सेक्सी नहीं हूं, पर जो हूं अपनी तरह से सेक्सी हूं।” रणदीप हुड्डा

रणदीप हुड्डा आज भी एक हरियाणवी की तरह ही है लोकिन वह बहुत ही समझदार और सुलझा व्यक्तिव भी रखता है। यदि कुछ उल्टा बोल गए तो उसके अंदर हरयाणवी बुद्धि जागृत हो जाती है। राम गोपाल वर्मा के साथ अपने करियर को शुरू किया और आज अपनी मेहनत के बलबूते पर एक मुकाम भी हासिल कर लिया है रणदीप ने,
हमारी संवाददाता लिपिका वर्मा से एक मुलाकात में ढेर सारे प्रश्नों के सटीक जवाब दिए रणदीप ने –
“मैं और चार्ल्स” फिल्म में चार्ल्स शोभराज का किरदार निभा रहें है, क्या कहना  चाहेंगे?
वह बहुत ही सेक्सी बंदा था सो मैं भी उसी तरह सेक्सी बन रहा हूं पर्दे पर। चार्ल्स से बहुत सारी लड़कियां भी आकर्षित हुई हैं जो वह बाहर से था वैसा अंदर से था या नहीं फिल्म देखने पर ही आप को पता चलेगा। मुझे बस सेक्सी होना है, पर बड़े दुःख के साथ यह कहना चाहूंगा कि मैं सलमान खान की तरह सेक्सी नहीं हूं, पर जो हूं अपनी तरह से सेक्सी हूं। फिल्म में चार्ल्स की तरह ही किरदार निभा रहा हूं।”
आपका लुक चार्ल्स से बहुत मेल खाता है, आप को बहुत सूट करता है ?
जी शुक्रिया। पर मैं आप को यह बता दूं कि – अभिनेता होने की वजह से हमें उस चरित्र -चित्रण को हूबहू पेश करने की कोशिश करनी होती है। क्योंकि यदि हम करैक्टर को सही ढ़ंग से परदे पर ना उतार पाये तो हमारे अभिनय में दम नहीं दिखायी देगा। हाई वे के समय भी कुछ पत्रकारों ने यही सवाल  किया था – आप एकदम ट्रक ड्राइवर लग रहे हैं ? निर्देशक प्रवाल रमन ने चार्ज शीट के आधार पर जो पुलिस फाइल में पाया उसी के आधार पर यह फिल्म बनायीं है। चार्ल्स की हर हरकतों की बारीकियों को बेहतरीन ढ़ंग से पेश करने की कोशिश की है। राजीव गांधी के मसले की छानबीन जिस व्यक्ति ने की थी वही व्यक्ति चार्ल्स के मसले की छानबीन में कार्यरत थे। सो उनसे भी भेंट की हम लोगों ने।
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आप ने किताब को ज्यादा फॉलो नहीं किया है क्या?
दरअसल में हम रिपोर्ट्स पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इसलिए हमने रिपोर्ट्स के आधार पर ही यह फिल्म बनाई है। किताब के लेखक बहुत लम्बा व्याख्यान दे दिया करते हैं, जो कुछ उनके मस्तिष्क में होता किताब पर उतार देते हैं। रिपोर्ट्स  सच्चाई से जुड़ती है और सटीक भी होती है सो उसी के आधार पर फिल्माया है, “मैं और चार्ल्स”
निर्देशक प्रवाल रमन के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
उनके साथ मैं राम गोपाल वर्मा की फैक्ट्री के दौरान से ही जुड़ा हुआ हूं,  अच्छी बात यह है की उन्होंने भी बॉक्स ऑफिस पर कोई खासी हिट फिल्म नहीं दी है ।  इस लिए मुझे फिल्म, ” मैं और चार्ल्स” में लिया है  [हंसकर बोले रणदीप]  आशा करता हूं बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म हिट हो जाये और प्रवाल अगली फिल्म में मुझे ही लें।
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आपका फिल्मी सफर कैसा रहा ?
मैंने आज तक पीछे मूडकर नहीं देखा है। मैं आज के लिए जीने में विश्वास  रखता हूं और अपना बेहतरीन शॉट देना चाहता हूं। मैंने हर काम करने में अपना गौरव महसूस किया है और गौरव से ही काम प्राप्त किया भी है। अपने आप को नीचे गिरा कर कोई भी काम हासिल नहीं किया है आजतक। मैंने पैसों के लिए भी कभी काम नहीं चुना है। दरअसल में मैं कुछ ज्यादा महत्वाकांक्षी हूं। मैं एक कलाकार हूं और एक अभिनेता ही कहलाना चाहूंगा।
आप हॉलीवुड फिल्में नहीं कर रहे हैं ?
हमारी एक फिल्म है जो बाहर के मुल्कों में बहुत अच्छा कर रही है। मुझे खेद है कि भारत को बाहर के मुल्कों में बहुत ख़राब तौर से पेश किया जाता है या तो भारत की गरीबी को दर्शाते हैं या फिर यहाँ पर जो रेप होते है उसे दिखलाया जाता है। हमारी फिल्म में भारत को बेहतरीन रूप में दर्शाया गया है इस बात की ख़ुशी है मुझे और रही हॉलीवुड फिल्मों की बात तो जनाब यह बता दूं पहले बॉलीवुड में तो अपने पैर जमा लूं ?
आप ज्यादातर ग्रे शेड के किरदार ही करते हैं क्यों ?
जी हाँ,  सफेद और कुछ काला शेड हर इंसान में होता है इसे रियलिज्म कहा जाता है। जाहिर सी बात है, मैं रियल किरदारों को करने में खासा उत्साहित रहता हूं। इंसान अमूमन अपने तीनों चेहरों को दुनिया के सामने नहीं दिखलाना चाहता है। सब चाहते है बस उनका अच्छा चेहरा ही देख पाये दुनियावाले। मुझे ऐसे इंसानों  से सख्त नफरत है जो पीछे से खंजर घोंपते है और सामने बहुत मीठे बने रहते हैं।
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अपने घोड़ों के प्यार और रॉयल रूस्टर टीम के बारे में कुछ बोलें ?
बस दूसरे सीजन के लिए अपने घोड़ों की टीम को मैंने तैयार कर लिया है। पटौदी कप की तैयारी भी कर ली है चाहता हूं जीत कर मंच पर पहुँचूं। करीना-सैफ को “शैम्पेन” खोल कर उनका स्वागत करूँ। यह सपोर्ट बहुत ही रोचक एवं रोमांचक भी होता है। मैंने नौ साल की उम्र में पहली बारी घुड़सवारी की थी और उसके  प्रति रोमांच पैदा हो गया। मैं बचपन से जानवर प्रेमी हूं। जानवर कई लोगों से बेहतर होते है।
आप 39 साल के हो गए है, चालीस में नॉटी होने का इरादा है ?
अरे भाई, नॉटी नहीं -वेरी वेरी नॉटी बहुत बहुत शरारती  होने का इरादा है मेरा-40 पुरे तो होने दो!!

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