INTERVIEW!! “मैं खुद ही बैल बन जाता हूं”! नाना पाटेकर
By Mayapuri on August 28, 2015
नाना पाटेकर एक ऐसे अभिनेता हैं जो दिल खोल कर सारी बातें बोल जाते हैं। उन्हें किसी भी तरह का परहेज नहीं होता है सच्चाई बोलने में। अपने ही अंदाज में नाना ने अपनी आने वाली फिल्म, “वेलकम बैक” और अपने फिल्मी सफर के बारे में ढेर सारी बातें की हमारी संवाददाता लिपिका वर्मा के साथ –
वेलकम बैक 2 में आगे क्या देखने को मिलेगा?
पहले इस फिल्म में हम सब गुंडे थे और अब सुधरे हुए गुंडे देखने को मिलेंगे। एक गुंडा हमारा दामाद बन जाता है और उसकी वजह से जो हालात बनते है बस उसी पर कॉमेडी बनती चली जाती है ?
रियल नाना कैसे है?
दरअसल में मेरा मूड माहौल पर निर्भर करता है। जब हम मस्ती करते हैं तो उसके मुताबिक ही इर्दगिर्द का माहौल भी वैसा ही होना चाहिए। यदि कोई अडियल या अकडू उस माहौल में आ जाये तो फिर मेरा दिमाग ख़राब हो जाता है। मस्ती मजाक करने का भी एक अंदाज़ होता है और एक दायरा भी, और यदि कोई उस किस्म का बंदा ना हो तो कितनी देर तक उसे झेल सकता है कोई। झूठेपण से नफरत होती है मुझे। मेरा ऐसा मानना है कि जैसे हो तुम- अच्छे हो या फिर बुरे हो- तो वैसे ही पेश आओ ना? बनावटीपन क्यों दिखलाते हो। और यदि तुम काटने वाले कुत्ते हो और यह गुण हमे बाद में पता चला तो हम भी काटने वाले कुत्ते ही बन जाते है।
फिल्मी दुनिया में आपके स्पष्टवादी प्रकृति की वजह से आपका कोई दोस्त नहीं बन पाता होगा?
जी नहीं, मैं अपने आप को इंडस्ट्री का मानता ही नहीं हूं किन्तु अच्छे दोस्त हैं मेरे भी। डिंपल कपाडिया मेरी दोस्त हैं। ऋषि कपूर, जैकी श्रॉफ, मिथुन दा और डैनी भी मेरे अच्छे दोस्त हैं।
आप का आइडल कौन है ?
मेरा आइडल कोई भी नहीं है। किन्तु मैं लौरेल हार्डी, चार्ली चैपलिन और महमूद की कॉमेडी बहुत पसंद करता हूं, मुझे आज भी टॉम एंड जेरी देखना पसंद है। मैं और अनिल कपूर टॉम एंड जेरी ही हैं।
नाना फिल्मों में नहीं आना चाहते थे ?
जी हाँ मैं मराठी नाट्य करने में ही संतुष्ट था किन्तु स्मिता की वजह से मैंने फिल्मो का रुख किया। वैसे मैं सही मायने में इस इंडस्ट्री का हूं ही नहीं किन्तु अब यहाँ का हो गया हूं -तो मन लगा कर काम करना होता है। मेरा ऐसा मानना है कन्विंस करो या फिर खुद कन्विंस हो जाओ। इस में फिल्म की भलाई होती है।
आप की जर्नी बहुत अच्छी रही? मैं पिछली बातों को याद नहीं करता हूं बस अब मेरी एक बेहतरीन फिल्म आ रही है, “नटसम्राट इस की रिलीज़ का इंतजार कर रहा हूं बेताबी से।
आपके पुत्र एक्टर नहीं बनना चाहते है क्या?
पता नहीं फ़िलहाल तो वह प्रोड्यूसर बन चुका है आगे चलकर यदि अभिनेता बनना चाहे तो उसकी मर्जी। वह मुझ से बहुत डरता है, ठीक है वह मेरी इज्जत करता है। मैं हमेशा उसे यही कहता हूं कि तुझे यदि कुछ अच्छा ना लगे तो कम से कम मुझे बोल दे, और जो कुछ तू बोलेगा यदि मुझे पसंद नहीं आता है तो मैं तुझे मुंह पर ही कह दूंगा। मुझे कुछ छिपाना नहीं आता है। मुझे वह लोग बिल्कुल पसंद नहीं है जो तुम्हारी आँखों में देख कर बात नहीं करते है।
लोग आपके मुंहफट अंदाज़ को पसंद नहीं करते हैं। क्या कहना चाहेंगे ?
मुझे आज भी याद है मेरे किसी रिश्तेदार की लड़की थी, और मुझे वह लड़का पसंद नहीं आया था। केवल इसलिए क्योंकि वह किसी की आँखों में देख कर बात नहीं करता था। पर जब लोगों से मैंने -यह कहा कि इस लड़के से अपनी लड़की की शादी मत करना। यह लड़का अच्छा नहीं लगा मुझे। सब को लगा यह तो ऐसे ही बोलता रहता है। पर कुछ दिनों बाद जब उस लड़की का डाइवोर्स हो गया तब लोगों को मेरी कही हुई बात पर यकीन हुआ। मैं ईमानदारी से सब कुछ बोल देता हूं दिल में कुछ भी नहीं रखता हूं।
आप की छठी इंद्री बहुत सक्षम है ?
नहीं मेरा ऐसा मानना है, जैसे फिल्म के अंत में स्क्रॉल चलता है किसी का भी चेहरा उसके हाव -भाव देख कर पढ़ा जा सकता है। कई मर्तबा लोग दारू पी कर मेरे बाजू में खड़े होकर बकवास करते हैं ऐसे लोगों से मुझे नफरत होती है, क्योंकि जब नशा उतरता है तो आकर माफ़ी मांगते है अरे भाई यदि दारू सह नहीं सकते तो पीते ही क्यों हो।
आपने धूम्र पान का सेवन करना छोड़ दिया है किन्तु शराब पी लेते हैं कभी कभी – क्या कहना है आपका इस बारे में?
नहीं ऐसा नहीं है दारू कभी कभी पी लेता हू। अच्छा लगता है। मैंने पहली बारी दारू 28 साल की उम्र में पी थी। अब कैमरे के सामने काम करना है तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि अपने आप का चहेरा सही रखें। क्योंकि अक्सर दारू पीओगे तो कैमरा आपके मुंह की सूजन पकड़ लेता है। धूम्रपान नहीं करता हूं अब।
आप अपने पिताजी से डरते थे क्या?
बिल्कुल नहीं। मुझे आज भी याद है जब मैं केवल 5 वी कक्षा में पढ़ता था तब मेरे पिताजी ने मेरी गलती नहीं होने के बावजूद मुझे एक थप्पड़ जड़ दिया था गाल पर, तब मैंने उनका हाथ पकड़ लिया था। वह बहुत गुस्सा हुए थे। किन्तु मैंने साफ साफ कह दिया- जब मेरी गलती नहीं है तो आपने मुझे क्यों मारा? मैं मरने में विश्वास नहीं करता हूं। मैंने अपने बेटे को कभी भी नहीं मारा है। कॉलेज के समय भी मेरा, “ब्लड प्रेशर 120/80 हुआ करता और आज भी वैसा ही है।
अवॉर्डस आपके लिए क्या मायने रखता है?
अवॉर्डस केवल 4 लोगो द्वारा तय किए जाते है। अक्सर जब हमें मिलता है तो हम कहते है खरीदा नहीं है, किन्तु जब दूसरों को मिलता है तो समझते है कि उसने यह आवर्ड खरीदा होगा। मुझे पद्मश्री आवर्ड मिला यह मेरा सौभाग्य है। किन्तु यदि मुझ से पूछते तो मैं यही कहता कि मेरे से बेहतर लोग है जिन्हे यह आवर्ड मिलना चाहिए।
गांवो में किसानों की दयनीय स्थिति के बारे में क्या कहना चाहेंगे आप?
बस राजनीति नहीं होनी चाहिए। हर किसान को केवल पानी और बिजली देनी होगी। फिर वह लोग काश्तकारी आराम से कर लेंगे। यही दो चीज़े उनकी अहम जरूरत है। यदि सरकार यह दो चीज़ किसानों को मुहैया करवाती है तो कोई भी किसान ख़ुदकुशी नहीं करेंगा। जी हाँ! मै भी एक किसान हूं। जब भी मैं अपने फार्म हाउस में होता हूं और बैल नहीं मिलता है तो मै खुद ही बैल बन जाता हूं !
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