Sunday, 30 August 2015
Saturday, 29 August 2015
Friday, 28 August 2015
INTERVIEW!! “मैं खुद ही बैल बन जाता हूं”! नाना पाटेकरBy lipika varma Mayapuri on August 28, 2015
INTERVIEW!! “मैं खुद ही बैल बन जाता हूं”! नाना पाटेकर
By Mayapuri on August 28, 2015
नाना पाटेकर एक ऐसे अभिनेता हैं जो दिल खोल कर सारी बातें बोल जाते हैं। उन्हें किसी भी तरह का परहेज नहीं होता है सच्चाई बोलने में। अपने ही अंदाज में नाना ने अपनी आने वाली फिल्म, “वेलकम बैक” और अपने फिल्मी सफर के बारे में ढेर सारी बातें की हमारी संवाददाता लिपिका वर्मा के साथ –
वेलकम बैक 2 में आगे क्या देखने को मिलेगा?
पहले इस फिल्म में हम सब गुंडे थे और अब सुधरे हुए गुंडे देखने को मिलेंगे। एक गुंडा हमारा दामाद बन जाता है और उसकी वजह से जो हालात बनते है बस उसी पर कॉमेडी बनती चली जाती है ?
रियल नाना कैसे है?
दरअसल में मेरा मूड माहौल पर निर्भर करता है। जब हम मस्ती करते हैं तो उसके मुताबिक ही इर्दगिर्द का माहौल भी वैसा ही होना चाहिए। यदि कोई अडियल या अकडू उस माहौल में आ जाये तो फिर मेरा दिमाग ख़राब हो जाता है। मस्ती मजाक करने का भी एक अंदाज़ होता है और एक दायरा भी, और यदि कोई उस किस्म का बंदा ना हो तो कितनी देर तक उसे झेल सकता है कोई। झूठेपण से नफरत होती है मुझे। मेरा ऐसा मानना है कि जैसे हो तुम- अच्छे हो या फिर बुरे हो- तो वैसे ही पेश आओ ना? बनावटीपन क्यों दिखलाते हो। और यदि तुम काटने वाले कुत्ते हो और यह गुण हमे बाद में पता चला तो हम भी काटने वाले कुत्ते ही बन जाते है।
फिल्मी दुनिया में आपके स्पष्टवादी प्रकृति की वजह से आपका कोई दोस्त नहीं बन पाता होगा?
जी नहीं, मैं अपने आप को इंडस्ट्री का मानता ही नहीं हूं किन्तु अच्छे दोस्त हैं मेरे भी। डिंपल कपाडिया मेरी दोस्त हैं। ऋषि कपूर, जैकी श्रॉफ, मिथुन दा और डैनी भी मेरे अच्छे दोस्त हैं।
आप का आइडल कौन है ?
मेरा आइडल कोई भी नहीं है। किन्तु मैं लौरेल हार्डी, चार्ली चैपलिन और महमूद की कॉमेडी बहुत पसंद करता हूं, मुझे आज भी टॉम एंड जेरी देखना पसंद है। मैं और अनिल कपूर टॉम एंड जेरी ही हैं।
नाना फिल्मों में नहीं आना चाहते थे ?
जी हाँ मैं मराठी नाट्य करने में ही संतुष्ट था किन्तु स्मिता की वजह से मैंने फिल्मो का रुख किया। वैसे मैं सही मायने में इस इंडस्ट्री का हूं ही नहीं किन्तु अब यहाँ का हो गया हूं -तो मन लगा कर काम करना होता है। मेरा ऐसा मानना है कन्विंस करो या फिर खुद कन्विंस हो जाओ। इस में फिल्म की भलाई होती है।
आप की जर्नी बहुत अच्छी रही? मैं पिछली बातों को याद नहीं करता हूं बस अब मेरी एक बेहतरीन फिल्म आ रही है, “नटसम्राट इस की रिलीज़ का इंतजार कर रहा हूं बेताबी से।
आपके पुत्र एक्टर नहीं बनना चाहते है क्या?
पता नहीं फ़िलहाल तो वह प्रोड्यूसर बन चुका है आगे चलकर यदि अभिनेता बनना चाहे तो उसकी मर्जी। वह मुझ से बहुत डरता है, ठीक है वह मेरी इज्जत करता है। मैं हमेशा उसे यही कहता हूं कि तुझे यदि कुछ अच्छा ना लगे तो कम से कम मुझे बोल दे, और जो कुछ तू बोलेगा यदि मुझे पसंद नहीं आता है तो मैं तुझे मुंह पर ही कह दूंगा। मुझे कुछ छिपाना नहीं आता है। मुझे वह लोग बिल्कुल पसंद नहीं है जो तुम्हारी आँखों में देख कर बात नहीं करते है।
लोग आपके मुंहफट अंदाज़ को पसंद नहीं करते हैं। क्या कहना चाहेंगे ?
मुझे आज भी याद है मेरे किसी रिश्तेदार की लड़की थी, और मुझे वह लड़का पसंद नहीं आया था। केवल इसलिए क्योंकि वह किसी की आँखों में देख कर बात नहीं करता था। पर जब लोगों से मैंने -यह कहा कि इस लड़के से अपनी लड़की की शादी मत करना। यह लड़का अच्छा नहीं लगा मुझे। सब को लगा यह तो ऐसे ही बोलता रहता है। पर कुछ दिनों बाद जब उस लड़की का डाइवोर्स हो गया तब लोगों को मेरी कही हुई बात पर यकीन हुआ। मैं ईमानदारी से सब कुछ बोल देता हूं दिल में कुछ भी नहीं रखता हूं।
आप की छठी इंद्री बहुत सक्षम है ?
नहीं मेरा ऐसा मानना है, जैसे फिल्म के अंत में स्क्रॉल चलता है किसी का भी चेहरा उसके हाव -भाव देख कर पढ़ा जा सकता है। कई मर्तबा लोग दारू पी कर मेरे बाजू में खड़े होकर बकवास करते हैं ऐसे लोगों से मुझे नफरत होती है, क्योंकि जब नशा उतरता है तो आकर माफ़ी मांगते है अरे भाई यदि दारू सह नहीं सकते तो पीते ही क्यों हो।
आपने धूम्र पान का सेवन करना छोड़ दिया है किन्तु शराब पी लेते हैं कभी कभी – क्या कहना है आपका इस बारे में?
नहीं ऐसा नहीं है दारू कभी कभी पी लेता हू। अच्छा लगता है। मैंने पहली बारी दारू 28 साल की उम्र में पी थी। अब कैमरे के सामने काम करना है तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि अपने आप का चहेरा सही रखें। क्योंकि अक्सर दारू पीओगे तो कैमरा आपके मुंह की सूजन पकड़ लेता है। धूम्रपान नहीं करता हूं अब।
आप अपने पिताजी से डरते थे क्या?
बिल्कुल नहीं। मुझे आज भी याद है जब मैं केवल 5 वी कक्षा में पढ़ता था तब मेरे पिताजी ने मेरी गलती नहीं होने के बावजूद मुझे एक थप्पड़ जड़ दिया था गाल पर, तब मैंने उनका हाथ पकड़ लिया था। वह बहुत गुस्सा हुए थे। किन्तु मैंने साफ साफ कह दिया- जब मेरी गलती नहीं है तो आपने मुझे क्यों मारा? मैं मरने में विश्वास नहीं करता हूं। मैंने अपने बेटे को कभी भी नहीं मारा है। कॉलेज के समय भी मेरा, “ब्लड प्रेशर 120/80 हुआ करता और आज भी वैसा ही है।
अवॉर्डस आपके लिए क्या मायने रखता है?
अवॉर्डस केवल 4 लोगो द्वारा तय किए जाते है। अक्सर जब हमें मिलता है तो हम कहते है खरीदा नहीं है, किन्तु जब दूसरों को मिलता है तो समझते है कि उसने यह आवर्ड खरीदा होगा। मुझे पद्मश्री आवर्ड मिला यह मेरा सौभाग्य है। किन्तु यदि मुझ से पूछते तो मैं यही कहता कि मेरे से बेहतर लोग है जिन्हे यह आवर्ड मिलना चाहिए।
गांवो में किसानों की दयनीय स्थिति के बारे में क्या कहना चाहेंगे आप?
बस राजनीति नहीं होनी चाहिए। हर किसान को केवल पानी और बिजली देनी होगी। फिर वह लोग काश्तकारी आराम से कर लेंगे। यही दो चीज़े उनकी अहम जरूरत है। यदि सरकार यह दो चीज़ किसानों को मुहैया करवाती है तो कोई भी किसान ख़ुदकुशी नहीं करेंगा। जी हाँ! मै भी एक किसान हूं। जब भी मैं अपने फार्म हाउस में होता हूं और बैल नहीं मिलता है तो मै खुद ही बैल बन जाता हूं !
Thursday, 27 August 2015
INTERVIEW!! अनीस बज्मी की सफाई अक्षय को अपनी आगे की फिल्मो में ना लेने की !! वेलकम बैक में तो नहीं है अक्षय किन्तु आंखें-२ में भी नहीं नजर आएंगे अक्की ??By Mayapuri on August 25, 2015
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INTERVIEW!! अनीस बज्मी की सफाई अक्षय को अपनी आगे की फिल्मो में ना लेने की !! वेलकम बैक में तो नहीं है अक्षय किन्तु आंखें-२ में भी नहीं नजर आएंगे अक्की ??
By Mayapuri on August 25, 2015
जॉन की तारीफ में अनीस बहुत कुछ बोले और अक्षय को अपनी आगे की फिल्मों में ना लेने के बारे में सफाई भी दी हमारी संवाददाता लिपिका वर्मा को
मेरा फिल्मी सफर बहुत ही अच्छा रहा है। जॉन को मैं, “नो एंट्री” के समय मिला था हम दोनों ने बहुत देर तक हंसी मजाक किया और बहुत ढेर सारी बातें भी की थी किन्तु उसके बाद हालॉंकि हम दोनों साथ में काम करना चाहते थे पर काम कर नहीं पाये।
“वेलकम बैक” में अक्षय को ना लेना और जॉन को कास्ट करने के बारे में अनीस ने कहा – “दरअसल में हमें एक नए हीरो की जरूरत थी। यह कहानी की डिमांड है। अक्षय को हमने इतना सीधा दिखाया था तो उसके आगे की कहानी है यह वेलकम बैक। जाहिर सी बात है हम अक्षय को इस फिल्म में कास्ट नहीं कर पाते। अक्षय का कोई भी विकल्प नहीं हो सकता है वह एक कम्पलीट एक्टर है -जिनका कॉमिक टाईमिंग बहुत ही अच्छा है, रोमांटिक और एक्शन हीरो भी बेहतरीन है अक्की, और तो और उनसे ज्यादा समय पर पहुंचने वाला एक्टर कोई और नहीं है। इस फिल्म में जॉन के ग्रे शेड्स दिखलाये गए है जोकि अक्षय को हम नहीं दिखला सकते। जॉन के डायलॉग्स और स्टाइल भी अलग है सो अक्षय को हमने इस फिल्म में कास्ट नहीं किया है। अक्षय मुझे प्यार और मेरी इज्ज़त भी करता है। हम दूसरी फिल्म जरूर एक साथ करेंगे। अक्षय के साथ काम करने के लिए मेरे पास अच्छी खासी स्क्रिप्ट भी होनी चाहिए।
मेरा नाना के साथ लव -हेट का रिश्ता है भाई !! निर्देशक की हैसियत से मुझे नाना को और बाकी सारे अभिनेताओं को सही स्क्रिप्ट देनी होती है। मेरा फर्ज है उनको कन्विंस करूँ पर साथ ही यदि उन्हें कुछ कहना होता है तो उन्हें भी मुझे कन्विंस करना पड़ता है, और यदि मैं कन्विंस ना हो पाया तो जिस तरह से सीन करना होता है निर्देशक की नजर से मैं वैसा ही करता हूं। नाना को यह अच्छी तरह से पता है की सिनेमा के प्रति बहुत ही आवेशपूर्ण रवईया है मेरा । नाना को हमेशा पता होता है कि मैं क्या चाह रहा हूं।
शाईनी आहूजा मेरे किरदार के लिए फिट बैठते है और उनके इलावा मेरे ज़ेहन में कोई और एक्टर नही था। बाकी सारी बातें मैंने एक साइड में रख कर उन्हें सिर्फ किरदार के रूप में देखा। जब मैंने उन्हें कहानी सुनाई तो शाईनी बहुत ही भावुक हो गए थे। चार साल के गैप के बाद वह मेरे साथ काम कर रहे हैं और बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ काम किया है उन्होंने।
फिरोज खान को मैं आज भी मिस करता हूं। उनकी फिल्में आज भी देखता हूं मैं। मैं उन्हें काफी मर्तबा मिलने भी जाता रहा हूं खासकर जब उनकी तबियत नासाज रहा करती थी। उनकी फिल्म कुर्बानी और जज़्बा देख कर बड़े हुए हैं हम और इन फिल्मों के डायलॉग्स भी बोल बोल कर बड़े हुए है हम सब.
ऑंखें 2 कर रहा हूं इसमें जॉन अब्राहम और अनिल कपूर नजर आएंगे। यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है। अक्षय और अर्जुन रामपाल इस फिल्म में इस लिए नहीं होगे क्योंकी पिछली फिल्म में यह दोनों अमितजी को चीट करते है और यह बात उन्हें पसंद नहीं आती है। कहानी आगे बढ़ रही है इस लिए अक्षय एवं अर्जुन रामपाल नहीं है फिल्म “आंखे” में भी।”
INTERVIEW!! मेरी फिल्म में विलन नहीं होता है।” – कबीर खानBy Mayapuri on August 27, 2015
INTERVIEW!! मेरी फिल्म में विलन नहीं होता है।” – कबीर खान
By Mayapuri on August 27, 2015
लिपिका वर्मा से एक ख़ास मुलाकात
निर्देशक कबीर खान बहुत ही खुश हैं कि उनकी फिल्म, “बजरंगी भाईजान में जो कहानी दिखाई गयी है वो एक पाकिस्तानी लड़की की कहानी है। जो की अपने माँ बाप से बिछड़ कर हिंदुस्तान आ जाती है और किस तरह उसे सलमान वापस अपने वतन पाकिस्तान पहुँचाने का जिम्मा लेते हैं, ठीक ऐसी ही लड़की की कहानी पाकिस्तान में रियल में सुनने और देखने में आई है। जिसका नाम गीता है वह भारतीय मूल की नागरिक है और पाकिस्तान में रहती है।
गीता को वापस भारत लाने का इंतज़ाम किया जा रहा है इस बारे में क्या कहना है कबीर का ?
गीता हनुमान की भक्त है और पाकिस्तान में जो परिवार उसकी देख रेख कर रहा है वो मुस्लिम है। इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है कि हमने जो कहानी लोगों के सामने परोसी है वह सही मायने में भी दुनिया में चल रही है। गीता रोज़ा भी रखती है और मंदिर भी जाती है। हमे खुशी है कि दुनिया में धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं हो ऐसी एक जीवंत कहानी सामने आई है। सब को एकजुट होकर यही सोचना है और मिल जुल कर धर्मनिरपेक्षता को अपना लेना चाहिए।”
आप कितने पॉजिटिव बन्दे है? उस दिन आप को गुस्सा क्यों आया ?
मैं एक बहुत ही सकारत्मक विचारों वाला बंदा हूं मैं जिन्दगी में जिन्दगी को नजदीक से गांवो और कस्बों में भी जाकर देखा है कि लोग किस तरह से रहते है। पर इसके बावजूद मैं बहुत कम गुस्सा होता हूं पर यदि कोई बहुत ही गलत कह रहा हो तो मुझे गुस्सा आ जाता है। मेरी सहनशक्ति काफी अच्छी है पर कुछ ज्यादा हो जाये तो में सह नहीं पाता हूं। मैं आदमी की शख्सियत को पढ़ने की कोशिश करता हूं सकारात्मक विचारों का हूं इसलिए तो मेरी फिल्म में विलन नहीं होता है। मुझे आज भी याद है पहले दिन जब में सलमान को टाइगर की कहानी सुनाने गया था तो उन्हें ताज्जुब हुआ कि विलन के बिना फिल्म कैसे आगे बढ़ेगी?
मेरी अगली फिल्म फैंटम में भी हम टेररिस्ट के पीछे है किन्तु उन्हें मुगेंबो की तरह पेश नही किया है। टाइगर में भी विलन नही था किन्तु जो कुछ भी मै दिखाने की कोशिश करता हूं वह हालात को जरूर पेश करते है।
उस दिन प्रेस मीट के दौरान आप क्यों गुस्सा हो गए थे ?
अरे सीधी सी बात है विकिपीडिया में कुछ भी लिखा जा सकता है और वो जर्नलिस्ट बिना वजह बहस कर रहा था। ऐसे लोग सक्रिय बुद्धि नहीं रखते है और इस लिए मुझे क्रोध आ गया था। शुक्र है हम एक सभ्य माहौल में थे वरना उस को मेरे गुस्से का शिकार होना पड़ता।
इंडो (हिंदी) – पाक से जुड़ी फिल्मे ही क्यों पेश करते है आप?
मेरी फिल्मों में सच्ची राजनीति पेश करने की कोशिश करता हूं मैं। हम ऐसे समय से गुजर रहे हैं जहाँ भारत -पाक रिश्ते राजनीति के परिवेश से होकर गुजरते है। मेरी फिल्म न्यूयॉर्क टेररिस्ट पर बेस्ड फिल्म रही। उस फिल्म में हिंदी पाक रिश्ते के बारे में कोई ज़िक्र नहीं था। बजरंगी एक इमोशनल लेवल की फिल्म है जबकि फैंटम एक रियल वर्ल्ड पर बनाई गयी एक फिल्म है। हमारे साधारण लोगों को इस लड़ाई झगड़े से कुछ नहीं लेना होता है। जिस दिन राजनीति सही चलने लगेगी उस दिन से सब कुछ सुलझ जायेगा।
हुसैन ज़ैदी के किताब में दिलचस्पी क्यों ली आपने?
सीधी सी बात है हुसैन ज़ैदी की किताब यह जताती है कि हम हमेशा किसी धमकी से डर के ही अपना जीवन गुजार रहे है। कुछ कारण वश हम लोग जबरदस्त दुश्मनी या जबरदस्ती दोस्ती भी नहीं दिखला सकते हैं। इस फिल्म में 26/11 को हमने पूर्णत एक्सपोज किया है जो हम सबके लिए एक नासूर से कम नहीं है। कसाब एक छोटी मछली था किन्तु इसके पीछे जो मास्टर माइंड है उन्हें खोजना होगा हमें। हुसैन ने अपनी किताब में सारा ब्यौरा एवं संदर्भों को अच्छी तरह से लिखा है।
जिस तरह आपकी बजरंगी भाईजान सक्सेस हुई तो क्या फिल्म फैंटम भी उसकी तुलना में खरी उतरेगी। क्या कहना चाहेंगे ?
दोनों फिल्में अलग अलग है फैंटम एक थ्रिलर फिल्म है। फिल्में अपनी कहानी की वजह से बॉक्स ऑफिस पर हिट या फ्लॉप होती है। मैंने इस फिल्म के थ्रिल एलिमेंट को बरकरार रखा है और गाने इस फिल्म की मांग नहीं है इस लिए यूं ही कोई आइटम नंबर नहीं डालना चाहा मैंने।
आपकी अगली फिल्म के बारे में कुछ बोले ?
अगली फिल्म, “हॉलिडे” है पहले मैं पूरी क्लैरिटी से स्क्रिप्ट बना लेता हूं फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखता हूं।
बॉक्स ऑफिस नंबर कितने मायने रखते है आपके लिए?
मैं बॉक्स ऑफिस के प्रेशर में नहीं जीता हूं। यदि ऐसा होता तो कमर्शियल फिल्म्स ही बनाता ।
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