INTERVIEW!! ‘‘आप उन्हें (एस एल बी), अपना खून पसीना दे तो वो आपको एक्टर बना देंगे’’ – रणवीर
By Mayapuri on June 13, 2015
आपके हाथ के बारे में कुछ बोले, कैसे टूट गया और क्या कुछ किया इस दौरान आपने ?
रणवीर सिंह इस समय अपना टुंडा हाथ लिए घूम रहे हैं तो जानिए यह हुवा कैसे, ‘‘बाजीराव मस्तानी एक ऐसी फिल्म है जिस में मेरा पूरा खून, पसीना, आंसू और टूटी हड्डियों को लेकर मैंने काम किया है। मैं घोड़े पर से गिर गया था कुछ स्टंट्स करते हुए और बस फिर मेरी बाजू की हड्डी जगह पर से हट गई। मसल पूल हो गया था और केसिंग फट गयी। इस तरह मुझे तीन चार महीने बेड रेस्ट मिल गया। शूटिंग तो मैं कर रहा हूं अब किन्तु कुछ सम्भल कर, अपने टुंडे हाथ को पीछे रखना पड़ता है मुझे। बस कुछ ही दिनों की बात है सब ठीक हो जायेगा। मेरे माता पिता एवं मेरी बहन ने मेरी बहुत देख रेख की। दरअसल यह एक ऐसा समय था जब मैं अपने परिवार के बहुत ही करीब आ गया। पर जी हाँ मैं कुछ आलसी हो गया था सो मेरे घरवाले चाह रहे थे कि मैं जल्दी से काम पर जाये।
रणवीर सिंह इस समय अपना टुंडा हाथ लिए घूम रहे हैं तो जानिए यह हुवा कैसे, ‘‘बाजीराव मस्तानी एक ऐसी फिल्म है जिस में मेरा पूरा खून, पसीना, आंसू और टूटी हड्डियों को लेकर मैंने काम किया है। मैं घोड़े पर से गिर गया था कुछ स्टंट्स करते हुए और बस फिर मेरी बाजू की हड्डी जगह पर से हट गई। मसल पूल हो गया था और केसिंग फट गयी। इस तरह मुझे तीन चार महीने बेड रेस्ट मिल गया। शूटिंग तो मैं कर रहा हूं अब किन्तु कुछ सम्भल कर, अपने टुंडे हाथ को पीछे रखना पड़ता है मुझे। बस कुछ ही दिनों की बात है सब ठीक हो जायेगा। मेरे माता पिता एवं मेरी बहन ने मेरी बहुत देख रेख की। दरअसल यह एक ऐसा समय था जब मैं अपने परिवार के बहुत ही करीब आ गया। पर जी हाँ मैं कुछ आलसी हो गया था सो मेरे घरवाले चाह रहे थे कि मैं जल्दी से काम पर जाये।
टुटे हाथ को लेकर किस तरह समय बिताया मैंने, ‘‘मैं अपनी उत्तेजना -फिल्मे देख कर अपने मष्तिक को कूल रखता था। इस दौरान मुझे एक बहुत ही शक्तिशाली- सिनेमाई तजुर्बा मिला। मैंने इस दौर में बदलापुर, अग्ली, मैरी-काॅम और बाम्बे जैसी फिल्में देखी मैंने ढेर सारी हाॅलीवुड फिल्मे भी देखी। साथ ही कुछ स्पेनिश एवं डेनिश फिल्में भी देखने का मौका मिला मुझे बहुत ही अच्छा समय गुजरा मेरा इस दौरान। मुझे फिल्में देखना बहुत पसंद है सो मैं करीब तीन फिल्मे एक दिन में देख लिया करता।’’
बाजीराव में अपने रोल के बारे में रणवीर सिंह ने कहा, ‘‘इस किरदार के हर एक कारण को जेहन में रख के काम करना था मुझे..वो एक योद्धा था और हमेशा महारष्ट्र के बाहर ही रहा। इसका किरदार का हर कार्य यथार्थ एवं गणात्मक है। हृषिकेश ने मुझे मराठी भाषा सीखने में बहुत मदद की। वो मेरे लिए उछल बोर्ड की तरह थे।’’ भंसाली सर के साथ काम करना कुछ इस तरह है, ‘आप उन्हें अपना खून पसीना दे तो वो आपको एक्टर बना देंगे’ जैसे सुभाष चन्द्र बोस ने कहा, ‘तुम अपना खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा।’
प्रियंका के साथ ‘दिल धड़कने दो’ में भाई का किरदार निभा रहे हैं तो बाजीराव में बीवी का —हंस कर रणवीर बोले, ‘मैं प्रियंका को अपनी बहन जैसा ही समझता हूं। जी हाँ गुंडे में हम दोस्त बने है और दिल धड़कने में भाई -बहन का किरदार निभा रहे हैं तो वही बाजीराव में प्रियंका मेरी पत्नी का किरदार निभा रही है। दरअसल अभिनेता होने हेतु हमें हर किस्म के किरदार निभाने का मौका मिलता है। फिल्म गुंडे में वो मुझ पर बहुत हावी रही। किन्तु बाजीराव मस्तानी डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फिल्म है और उसे इनके साथ काम करने का अनुभव बिलकुल नहीं है। जबकि मैंने और दीपिका ने उनके साथ पहले भी काम किया है। प्रियंका पहले दिन से ही बहुत कन्फ्यूज्ड रही पर मैंने उसे समझाया कि कोई रिहर्सल्स करने की जरूरत नहीं है बिल्कुल सफा स्लेट की तरह जो सेट पर है वही करना है। एक दिन जो कुछ भी चर्चा की जाती है किसी सीन को लेकर, उसकी लाइटिंग एवं उसके डायलाॅग्स और सब कुछ वही पर लिखा जाता है।
अगले दिन हम वापस आकर वही सीन शूट करते हैं। संजय सर के साथ एक सहयोगी की तरह काम करने का मौका मिलता है, यह अद्भूत अनुभव है। संजय सर हमें निष्पादक के रूप में नहीं बल्कि सहयोगी के रूप में देखना चाहते हैं। इनके साथ काम करने से बहुत अलग एक्सपीरियंस मिलता है। जबकि दूसरे निर्देशक के सेट पर हमें मोबाइल पर मैसेज करने का मौका मिल जाता है पर को हम देख भी नहीं पाते हैं। प्रियंका ने यह सब कभी अनुभव नहीं किया और मुझे यह सब देखने मैं मजा आया क्योंकि गुंडे के दौरान प्रियंका सब कुछ फटा-फट कर लेती थी। उसे आउट आॅफ कंट्रोल देख मुझे बड़ा आनंद आया। भंसाली के साथ काम करने का अनुभव कठिन ही होता है किन्तु रिजल्ट अच्छा होता है। बड़े बड़े डायलाॅग्स पांच मिनट में याद करने होते हैं और यह तो मराठी किरदार है मुझे उसकी परफेक्ट लिंगो में ही भाषा बोलनी थी।
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