सपने दिखाएं तो काम भी करें
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द्गस्रद्बह्लञ्चड्ड
इमरान खान
युवा फिल्म अभिनेता
आ
आज
वक्त बदल रहा है। लोग जाग रहे हैं। ऐसे में, राजनीति केवल नेताओं के लिए
ही नहीं रह गई है। जो भी ईमानदार है और सच्चाई के साथ समाज के लिए काम करना
चाहता है, वह राजनीति में आ सकता है। चाहे वह कोई फिल्मी सितारा ही क्यों न
हो।
जकल मैं बड़ी दुविधा में फंसा हूं।
चुनाव सामने दिख रहे हैं और मैं वोट नहीं डाल पा रहा हूं। भारत दोहरी
नागरिकता की इजाजत नहीं देता और मैं अपने स्तर पर कई रास्ते खोज चुका हूं,
पर नाकाम रहा। मेरी समस्या यह है कि अपनी अमेरिकी नागरिकता भी नहीं त्याग
सकता, क्योंकि यह कदम उठाने पर मुझे 10 साल का अग्रिम कर भुगतान करना होगा।
लेकिन फिर भी मैं सोचता हूं कि अगर वोट देता, तो किसे देता? उस व्यक्ति
को, जिसने मेरे क्षेत्र में विकास कार्य किए होते। जिसने मेरा वोट पाने के
योग्य खुद को साबित किया होता। एक आम नागरिक के नाते मुझे देश और इसके
लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों का पूरा भान है।
आज
की राजनीतिक स्थिति पर नजर डालता हूं, तो मेरे मन में किसी चेहरे को देखकर
उम्मीद नहीं जगती। मैं राजनीतिक चेहरे की बात कर रहा हूं। प्रधानमंत्री पद
के तीन सबसे बड़े दावेदारों— नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी या अरविंद
केजरीवाल को देखकर मुझे कुछ नहीं होता है। उनकी बातें, उनके वायदे मेरे
अंदर कोई स्फूर्ति नहीं पैदा करते। इसका कारण साफ है। मुझे लगता है कि ये
लोग मेरे आसपास की परिस्थितियों में कोई खास बदलाव नहीं ला सकते। आपके
इर्द-गिर्द परिवर्तन वही लोग ला सकते हैं, जिन्हें आपने चुना है। फिर चाहे
वह किसी भी पार्टी के हों। इसलिए हमें सोच-समझकर ऐसे व्यक्ति को वोट देना
चाहिए, जो हमारे क्षेत्र और राज्य की बेहतरी के लिए काम कर सके। हमारी
समस्याओं को दूर कर सके। सच यह है कि प्रधानमंत्री कोई हो, नया या पुराना,
आपके नजदीक प्रत्यक्ष तौर पर कुछ नहीं बदलेगा। इसलिए हमें अच्छे-बुरे को
सोचकर ही वोट का इस्तेमाल करना चाहिए। मैं मानता हूं कि हमें चीजों को
बदलने की शुरुआत अपने आसपास से ही करनी चाहिए। यही परिवर्तन का बेहतर और
ठोस रास्ता है।
मैं राजनेता नहीं हूं और न
ही राजनीति में मेरी विशेषज्ञता है। लेकिन मैं इतना जानता हूं कि अगर कोई
नेता मुझे सपने दिखता है, तो उसे काम भी करना चाहिए। तभी वह मेरा विश्वास
और वोट पा सकता है। आज लोग नेताओं पर भरोसा नहीं करते। उनकी बातों को झूठे
वायदों से अधिक नहीं मानते। राजनेताओं के लिए यह चुनौती है। उन्हें इसे
स्वीकार करना चाहिए। राजनेताओं को अपने काम से लोगों का भरोसा लौटाना होगा
कि वे सिर्फ चुनाव के दिनों में वायदे ही नहीं करते, काम भी करते हैं।
वक्त
बदल रहा है। लोग जाग रहे हैं। इसलिए राजनीति केवल नेताओं के लिए नहीं रह
गई है। यह समाज सेवा है और जरूरी नहीं कि इसे करने के लिए किसी खास क्षेत्र
के लोग ही सामने आ सकते हैं। जो भी ईमानदार है, सच्चाई से समाज और जन
कल्याण के काम करना चाहता है, देश की दशा और दिशा बदलना चाहता है, वह
राजनीति में आ सकता है। यहां तक कि फिल्मी सितारे भी। राखी सावंत को ही
लीजिए। मैं उनसे केवल एक बार मिला हूं और मुझे लगता है कि वह दिल की साफ और
अच्छी हैं। हमें उनको सिर्फ आइटम गर्ल की तरह ही नहीं देखना चाहिए। हो
सकता है कि वह लोगों के लिए सचमुच बहुत अच्छा काम करें। मुझे नहीं पता कि
क्या सोचकर उन्होंने राजनीतिक पार्टी बनाई और चुनाव लड़ने का फैसला किया,
लेकिन अगर उनके इरादे नेक हैं, मन में कोई खोट नहीं है, कुछ योजनाएं हैं,
तो अवश्य ही वह अपने क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें दूर करेंगी।
एक
आम नागरिक के तौर पर मुझे यों तो कई क्षेत्रों में तरक्की की जरूरत नजर
आती है। लेकिन फिर भी लगता है कि हमें शिक्षा के क्षेत्र में विकास की सबसे
ज्यादा जरूरत है। यह बदले हुए समय की मूल आवश्यकता है। सबको बराबर शिक्षा
के बगैर नौकरी के लिए समान मौके नहीं मिल सकते। साथ ही, एक पढ़ा-लिखा
व्यक्ति ही सही और गलत के बारे में बेहतर ढंग से सोच-समझ सकता है। शिक्षा
व्यक्ति को मजबूत बनाएगी, तो स्वभाविक तौर पर समाज और देश मजबूत बनेंगे।
शिक्षा से ही समाज में असमानता जैसी समस्या खत्म की जा सकती है। असमानता एक
अमानवीय समस्या है। एक इलाके में खड़ी 25 मंजिला इमारत में रहने वाले और
उसी इमारत से लगी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों का मतदान क्षेत्र एक ही
होता है, लेकिन झुग्गियों में रहने वालों के साथ भला कहां अच्छा व्यवहार
होता है? नेता दशकों से गरीबों की भलाई के नाम पर योजनाएं बनाते और उनसे
वोट लेते आए हैं। लेकिन अब गरीबों का भला करने और उनका जीवन स्तर उठाने की
दिशा में काम करने की सख्त जरूरत है। दुनिया के किसी देश में गरीबी को
अच्छी नजर से नहीं देखा जाता। इससे किसी भी देश की सरकार की संवेदनशीलता का
पता चलता है। चूंकि हमारा देश तेजी से उन्नत हो रहा है, इसलिए हमें इस
दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए।
बदलाव
किसी एक व्यक्ति से नहीं आता और यह सच्चाई है कि मैं अकेला किसी बदलाव को
लाने में सक्षम नहीं हूं। लेकिन मैं यह समझता हूं कि देश में आखिर किस तरह
के बदलाव की जरूरत है। कैसे आपसी समझ-बूझ तथा सामूहिक प्रयासों से समाज में
परिर्वतन लाया जा सकता है। इसके लिए मुझे या हमें ऐसे व्यक्ति की जरूरत
होगी, जो इस दिशा में ईमानदारी से काम कर सके। इसे यों देख सकते हैं कि भले
ही मैं डॉक्टर नहीं हूं, लेकिन मुझे यह तो मालूम है कि मुझे कोई बीमारी है
और इसके लक्षण भी दिखाई देते हैं। तय है कि मैं बीमारी को ठीक नहीं कर
सकता। ऐसे में मैं एक सही व्यक्ति यानी डॉक्टर की तलाश करता हूं, जो बीमारी
ठीक करके मुझे स्वस्थ बना दे। ऐसे ही हमें समाज और देश को सुधारने के लिए
आज एक अच्छे डॉक्टर की जरूरत है।


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