'बाहरी नहीं कृष्ण की गोपी हूं मैं'
लिपिका वर्मा
सोमवार, 24 मार्च 2014
अमर उजाला ब्यूरो
Updated
@ 3:54 PM IST

राजनीति पर क्या कहती हैं हेमामालिनी?
ड्रीम गर्ल हेमा
मालिनी के लिए
सियासत की डगर
नई नहीं है।
वह 2004 से ही
राजनीति में हैं। इस
बार भाजपा के
टिकट पर कृष्ण
नगरी मथुरा से
चुनाव मैदान में
हैं। हेमा को
उम्मीद है कि
इस चुनाव में
मथुरा के लोग
उन्हें अपना नुमाइंदा जरूर
चुनेंगे।
अपने राजनीतिक जीवन के बारे में बताएं?
एक राज्यसभा सदस्य के तौर पर यह बेहतरीन रहा। लोग मुझसे अब पूछते हैं कि आप लोकसभा में किस लिए जाना चाहती हैं। मुझे लगता है कि दोनों बेटियों के दायित्वों से अब मैं मुक्त हो गई हूं। इधर अन्य कामों में धरम जी का भी सहयोग मुझे बराबर मिलता रहता है। अब लोकसभा में काम करने का अवसर मिल रहा है। पूरे देश में मोदी जी की लहर है। लोकसभा चुनाव लड़ने का यह बेहतरीन वक्त है। देश मोदी की मांग कर रहा है, ऐसे माहौल में मेरा भी राजनीति में आना जरूरी हो जाता है। मैं भी
अपने राजनीतिक जीवन के बारे में बताएं?
एक राज्यसभा सदस्य के तौर पर यह बेहतरीन रहा। लोग मुझसे अब पूछते हैं कि आप लोकसभा में किस लिए जाना चाहती हैं। मुझे लगता है कि दोनों बेटियों के दायित्वों से अब मैं मुक्त हो गई हूं। इधर अन्य कामों में धरम जी का भी सहयोग मुझे बराबर मिलता रहता है। अब लोकसभा में काम करने का अवसर मिल रहा है। पूरे देश में मोदी जी की लहर है। लोकसभा चुनाव लड़ने का यह बेहतरीन वक्त है। देश मोदी की मांग कर रहा है, ऐसे माहौल में मेरा भी राजनीति में आना जरूरी हो जाता है। मैं भी
'बाहरी नहीं कृष्ण की गोपी हूं मैं'

'मेरी टांग खींचने
वाले भी बहुत हैं'
इन चुनावों में आप क्या करने वाली हैं?
सबसे पहले मथुरा से मुझे अपना नामांकन भरना है। उसके बाद वहां जाकर चुनाव प्रचार करूंगी। लोगों से मिलूंगी, अपनी बात रखूंगी। एक स्टार प्रचारक के नाते मुझे देश के अन्य हिस्सों में अन्य प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना होता है। पहले बात अलग थी और अब अलग। अब मुझे अपने लिए भी वक्त निकालना है। एक दो दिनों में नामांकन के बाद मेरा चुनावी कार्यक्रम तय हो जाएगा।
आप को लगता है कि उम्मीदों पर खरी उतर पाएंगी?
हम पार्टी के निर्देशों का पालन करेंगे। मैं ब्रज के लोगों के जीवन में बहुत सारे बदलाव लाने की पूरी कोशिश करूंगी। हां इसके लिए मुझे जनता के समर्थन की जरूरत होगी। क्योंकि टांग खींचने वाले भी बहुत होते हैं। बिना जनता और पार्टी सदस्यों के समर्थन के मैं अकेले बदलाव नहीं ला सकती।
सबसे पहले मथुरा से मुझे अपना नामांकन भरना है। उसके बाद वहां जाकर चुनाव प्रचार करूंगी। लोगों से मिलूंगी, अपनी बात रखूंगी। एक स्टार प्रचारक के नाते मुझे देश के अन्य हिस्सों में अन्य प्रत्याशियों के लिए प्रचार करना होता है। पहले बात अलग थी और अब अलग। अब मुझे अपने लिए भी वक्त निकालना है। एक दो दिनों में नामांकन के बाद मेरा चुनावी कार्यक्रम तय हो जाएगा।
आप को लगता है कि उम्मीदों पर खरी उतर पाएंगी?
हम पार्टी के निर्देशों का पालन करेंगे। मैं ब्रज के लोगों के जीवन में बहुत सारे बदलाव लाने की पूरी कोशिश करूंगी। हां इसके लिए मुझे जनता के समर्थन की जरूरत होगी। क्योंकि टांग खींचने वाले भी बहुत होते हैं। बिना जनता और पार्टी सदस्यों के समर्थन के मैं अकेले बदलाव नहीं ला सकती।
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बाहरी नहीं कृष्ण की गोपी हूं मैं'

लोग कहते हैं कि मथुरा में मेरा घर हैः हेमा
क्या आप पहले से ही मथुरा का प्रतिनिधित्व करना चाहती थीं?
(हंसते हुए) जी हां! ये तो कृष्ण जी चाहते हैं कि मैं राधा बनकर उनके साथ नृत्य करूं। वहां के लोगों के जीवन में खुशियां लाऊं और उनके लिए कुछ करूं। मैं बहुत बार मथुरा गई हूं। हर बार मैंने मथुरा के साथ एक जुड़ाव महसूस किया है। यहीं नहीं 10-15 साल से तो लोग बोलते हैं कि यहां हेमा जी का घर है।
मैं लोगों से कहती थी कि नहीं यहां मेरा कोई घर नहीं है, तो लोग कहते थे कि नहीं यहां आपका एक घर है पर आप हमें बताना नहीं चाहती। वास्तव में यह बड़ी बात है अगर लोग कहते हैं कि मथुरा में मेरा घर है, इसका मतलब उन्होंने मुझे इस कृष्ण नगरी मथुरा में जगह दे दी। अगर भगवान कृष्ण चाहेंगे तो मैं यहां चुनाव जरूर जीतूंगी और यहां के लोगों के हिसाब से ही काम करूंगी।
(हंसते हुए) जी हां! ये तो कृष्ण जी चाहते हैं कि मैं राधा बनकर उनके साथ नृत्य करूं। वहां के लोगों के जीवन में खुशियां लाऊं और उनके लिए कुछ करूं। मैं बहुत बार मथुरा गई हूं। हर बार मैंने मथुरा के साथ एक जुड़ाव महसूस किया है। यहीं नहीं 10-15 साल से तो लोग बोलते हैं कि यहां हेमा जी का घर है।
मैं लोगों से कहती थी कि नहीं यहां मेरा कोई घर नहीं है, तो लोग कहते थे कि नहीं यहां आपका एक घर है पर आप हमें बताना नहीं चाहती। वास्तव में यह बड़ी बात है अगर लोग कहते हैं कि मथुरा में मेरा घर है, इसका मतलब उन्होंने मुझे इस कृष्ण नगरी मथुरा में जगह दे दी। अगर भगवान कृष्ण चाहेंगे तो मैं यहां चुनाव जरूर जीतूंगी और यहां के लोगों के हिसाब से ही काम करूंगी।

'ब्रज के लिए बहुत कुछ करने की इच्छा'
आखिर आप ब्रज भूमि में क्या बदलाव लाना चाहती हैं?
मैं मथुरा वृंदावन ऐसा कुछ करना चाहती हूं जिसे लोग हमेशा याद रखें। यहां विदेशी लोग बहुत आते हैं, लेकिन यहां गंदगी बहुत है। मुझे लगता है कि हमने इस स्थान को दिखाने लायक छोड़ा ही नहीं। मेरी पहली कोशिश होगी कि मैं इस स्थान की साफ सफाई सुनिश्चित कर सकूं। राज्यसभा सदस्य के तौर पर मैं वहां कुछ करना चाहती थी। मैंने अपने फंड से दो करोड़ रुपये देने की पहल भी की थी, लेकिन किसी ने मुझसे संपर्क करने की भी जहमत नहीं उठाई। यमुना की सफाई भी जरूरी है। मथुरा एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रहा है। मेरी कोशिश होगी कि मैं फिर से इसकी पुरानी गरिमा वापस लाऊं।
मैं मथुरा वृंदावन ऐसा कुछ करना चाहती हूं जिसे लोग हमेशा याद रखें। यहां विदेशी लोग बहुत आते हैं, लेकिन यहां गंदगी बहुत है। मुझे लगता है कि हमने इस स्थान को दिखाने लायक छोड़ा ही नहीं। मेरी पहली कोशिश होगी कि मैं इस स्थान की साफ सफाई सुनिश्चित कर सकूं। राज्यसभा सदस्य के तौर पर मैं वहां कुछ करना चाहती थी। मैंने अपने फंड से दो करोड़ रुपये देने की पहल भी की थी, लेकिन किसी ने मुझसे संपर्क करने की भी जहमत नहीं उठाई। यमुना की सफाई भी जरूरी है। मथुरा एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रहा है। मेरी कोशिश होगी कि मैं फिर से इसकी पुरानी गरिमा वापस लाऊं।
'बाहरी नहीं कृष्ण की गोपी हूं मैं'

'मैं राजनीति
में पैसे कमाने नहीं आई'
आप ने मथुरा से चुनाव लड़ने को मंजूरी
क्यों दी?
मेरा राजनीति से
पैसे कमाने का
कोई मकसद नहीं
है। ऊपर वाले
का दिया सब
कुछ है। मै
मथुरा के लोगों
के लिए कुछ
करना चाहती हूं।
अगर मैं जीतती
हूं तो मथुरा
की समस्याओं के
निराकरण के लिए फंड
जुटाऊंगी और वहां के
लोगाें की तकलीफें दूर
करने की कोशिश
करूंगी। मैं इस पवित्र
शहर को साफ
सुथरा और सुंदर
देखना चाहती हूं।
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'राजनीति
में नाकाम नहीं हुए धर्मेंद्र'
धर्मेंद्र राजनीतिक करियर में असफल क्यों रहे?
नहीं, वह राजनीति में असफल नहीं रहे। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई बड़े बदलाव किए। उनका दिल टूटा इस लिए उन्होंने राजनीति छोड़ी। वह गैर जरूरी आलोचना नहीं झेल सकते थे। लोग चाहते थे कि वह बराबर अपने क्षेत्र में ही रहें, लेकिन ऐसा संभव नहीं था। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने अपने काम को गंभीरता से अंजाम दिया।
क्या आप जीत के बाद फिल्मों को अलविदा कह देंगी?
नहीं, बिल्कुल नहीं। अगर कोई बेहतरीन प्रस्ताव आया तो शायद मैं उसे जरूर स्वीकार कर लूंगी। नृत्य मेरा शौक रहा है। इसे मैं लगातार जारी रखूंगी।
नहीं, वह राजनीति में असफल नहीं रहे। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई बड़े बदलाव किए। उनका दिल टूटा इस लिए उन्होंने राजनीति छोड़ी। वह गैर जरूरी आलोचना नहीं झेल सकते थे। लोग चाहते थे कि वह बराबर अपने क्षेत्र में ही रहें, लेकिन ऐसा संभव नहीं था। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने अपने काम को गंभीरता से अंजाम दिया।
क्या आप जीत के बाद फिल्मों को अलविदा कह देंगी?
नहीं, बिल्कुल नहीं। अगर कोई बेहतरीन प्रस्ताव आया तो शायद मैं उसे जरूर स्वीकार कर लूंगी। नृत्य मेरा शौक रहा है। इसे मैं लगातार जारी रखूंगी।
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