नाना पाटेकर जहां एआईबी शो के गंदे शब्दो के प्रयोग को नकारते है ,वही सेंसर बोर्ड को लताड़ते नजर आये !!
BY MAYAPURIFebruary 20, 2015 10:47 am
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आजकल जो बेशर्मी से गंदे शब्दो का प्रयोग किया जा रहा है उस बारे में नाना बोले, “बस इतना कहना चाहूंगा की “कपड़े में तो सब नंगे होते है ,लेकिन इस का मतलब यह नहीं है की हम समाज के सामने नंगे हो जाये! यह कह कर पला छाड़ लेना की”फ्रीडम ऑफ़ स्पीच है” बिकुल बकवास है भाई।
कपडे भी मत पहनो। दरअसल मेरे विचार से हम लोगो की समाज के प्रति एक जिमेदारी है. हम अभिनेता को देख कर जो जवान लोग बड़े होते है,और हमें अनुसरण करते है -सो हमे चाहिए कि हम उनके प्रति और समाज के प्रति जो हमारी ड्यूटी है एक सामाजिक नागरिक होने के नाते उसे पूरा करें. पर मेरा यह भी कहना है की जब हम कुछ गुस्सेल आवाज़ में बोलेंगे तो साधारण सी भाषा भी गाली जैसी ही लगती है. ” क्या कर रहा है यदि इस पंक्ति को में जोर से बोलूं तो गाली भी लग सकती है जब की हमारे यहाँ की कोंकणी भाषा में किसी बच्चे को यह कह रह पुकारे – प्यार से रांड काय केले तूने? कई ढेर सरे शब्द प्यार की भाषा में गाली गलोच जैसे नहीं लगते है पर इस का यह मतलब नहीं की सिनेमा या फिर कोई शो को भरपूर गलियों से भर दिया जाये। बच्चे उसे इस्तेमाल जरूर करेंगे। . बच्चा यदि उसे रोज़ सुनने , तो ऐसे शब्दों को वो अपनी बोलचाल की भाषा में भी प्रायोफ करने लगता है. क्यूंकि सिनेमा समाज का एक प्रतिबिंब है इस लिए हमे सोच समझ कर नंगे होना है. .”
वही सेंसर बोर्ड के बारे जो ढेर सारे शब्दों के उपयोग पर रोक लगा दिया गया है अब सेंसर बोर्ड द्वारा, उसके बारे में मेरा ऐसा मानना है -देखिये शब्दों के बारे में फिर भी सोचा जा सकता है. एक बात तो साफ फिल्म समाज का हिस्सा होती है और हमे जो कुछ भी समाज में चल रहा होता है उसी से प्रेरित होकर हम अपने स्क्रिप्ट को सच्चाई से पेश करते है। मुझे सिर्फ यह कहना है – सिगरेट यदि कोई पीता ही है और यदि वो किरदार का सेवन करता है तो हम एक फिल्म पेश कर रहे ,है और यदि किरदार सही तरह से पेश न किया जाये तो अड़चन लगती है। अब एक मर्डरर को दिखाना है तो कैसे दिखलायेंगे य़दि उस पर रोक लगे तो जब जवान लड़ते हुवे मरते है या मरे जाते है तो उसे किस तरह से पेश किया जाये। यह भी जान ही लेने का एक एक्ट होता है. सो फिल्म सेंसर बोर्ड को सोच कर ही पाबन्दी लगानी चहिए। मेरे हिसाब से तो जो सिगरेट का वो वक्या सीन के दौरान दिखलाया जाता है मुझे व्यक्तिगत तौर पर डिस्ट्रब ही करता है. सो उसका लगाना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता हैं. मेरा ध्यान जरूर फिल्म से कुछ पल के लिए भटक जाता है.”
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