INTERVIEW!! “मैं बहुत एकांत प्रिय हूँ, शर्मीला भी बहुत हूँ और ज्यादा सोशल भी नहीं हूँ” – शाहरुख़
लिपिका वर्मा
शाहरुख़ खान और काजोल की जोड़ी एक बार फिर से बड़े परदे पर एक अरसे बाद धूम मचाने आ रही है। फिल्म, “दिलवाले” एक इंटेंस लव स्टोरी है। इसमें देखना यह होगा कि काजोल और शाहरुख़ के रोमांसिंग स्टाइल में क्या फर्क नजर आने वला है ??
पेश है लिपिका वर्मा के साथ शाहरुख़ की एक ख़ास गुफ्तुगू –
पेश है लिपिका वर्मा के साथ शाहरुख़ की एक ख़ास गुफ्तुगू –
किंग खान, बादशाह खान और कई ढेर सारे टाइटल्स। ..कौन सा आपका पसंदीदा टाइटल है ?
जी हाँ -इतने साल काम करने के बाद आप कुछ अच्छे काम कर लेते हैं और कुछ बुरे। .इतने टाइटल्स मिले हैं और प्रसिद्धि भी उतनी ही मिली है किन्तु इन सब चीज़ों की एक आदत सी हो जाती है और फिर यह हमारे लिए सब काम की तरह ही है अपने जीवन निर्वाह के लिए काम करना पड़ता है हमारे पास कोई और विकल्प नहीं होता है। इन 25 सालों में जो मुझे सब से अच्छा लगता है वह मेरे काम के प्रति जो वाह वाही मिलती है उससे जो ख़ुशी मिलती है बस वही मेरे लिए बहुत मायने रखती है। आज मेरे पास सब कुछ है पर मैं क्या इस्तेमाल कर पाता हूँ यह सबसे बड़ा प्रश्न चिह्न है। मैं हर चीज का आनंद नहीं ले पाता हूँ। बस काम करता हूँ यही मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है।
क्या इतनी ऊंचाई पर जाकर आप बहुत अकेले नहीं हो गए है ?
मैं बहुत एकांत प्रिय हूँ, शर्मीला भी बहुत हूँ और ज्यादा सोशल भी नहीं हूँ। चुप्पी मुझे ज्यादा पसंद होती है। घर पर भी कुछ चुप चाप ही रहना और अपने ख्यालों में ही रहना पसंद करता हूँ। मेरा परिवार मुझे खूब अच्छे से जानता है। सुबह ९ बजे उठ कर शूट पर चले जाया करता हूँ। काजोल को भी मैं ५ सालों बाद ही मिला हूँ। एक समय में हम सब अकेले ही हो जाते है। दोस्त बनाने के लिए वक़्त नहीं होता है। मुझे ज्यादा फ़ोन पर बात -चीत करने की आदत भी नहीं है। कभी कभार अपने बच्चों से बात कर लेता हूँ। किन्तु जब अपने काम काजी मित्रों से मिलता हूँ तो अच्छा लगता है। मैं अक्सर खाना भी अकेले ही खाना पसंद करता हूँ। बस यही ज़िन्दगी है जो मुझे कबूल है।
मैं बहुत एकांत प्रिय हूँ, शर्मीला भी बहुत हूँ और ज्यादा सोशल भी नहीं हूँ। चुप्पी मुझे ज्यादा पसंद होती है। घर पर भी कुछ चुप चाप ही रहना और अपने ख्यालों में ही रहना पसंद करता हूँ। मेरा परिवार मुझे खूब अच्छे से जानता है। सुबह ९ बजे उठ कर शूट पर चले जाया करता हूँ। काजोल को भी मैं ५ सालों बाद ही मिला हूँ। एक समय में हम सब अकेले ही हो जाते है। दोस्त बनाने के लिए वक़्त नहीं होता है। मुझे ज्यादा फ़ोन पर बात -चीत करने की आदत भी नहीं है। कभी कभार अपने बच्चों से बात कर लेता हूँ। किन्तु जब अपने काम काजी मित्रों से मिलता हूँ तो अच्छा लगता है। मैं अक्सर खाना भी अकेले ही खाना पसंद करता हूँ। बस यही ज़िन्दगी है जो मुझे कबूल है।
आपने अपनी पहली डेट में क्या किया था?
उस ज़माने में हम डेट्स पर नहीं जाया करते बस कभी फिल्म देख लिया करते।
आपके लिए रोमांस क्या मायने रखता है ?
मुझे एक बात बताइए कौन सा मर्द अपनी गर्ल फ्रेंड के दुपट्टे को लेकर उसके लिए गाना गाता है। प्रेम कथा बड़े परदे पर ही अच्छी लगती है, यह सब आप अपनी रियल लाइफ में कतई नहीं करते है। हर किसी की लव स्टोरी अलग होती है। हंस के शाहरुख़ बोले लेकिन मैं दुपट्टा बहुत ही बेहतरीन तौर से इस्तेमाल करता हूँ!!
आप की एक बहुत बड़ी फैन फोलोइंग है, आपको बहुत सतर्क रहना होता है क्या कहना चाहेंगे ?
बिलकुल, मैं बहुत ही सतर्क रहता हूँ। यही कोशिश करता हूँ कि कभी भी किसी को दुःख ना पहुंचाऊ। जो लोग मुझे अच्छी तरह समझते हैं वह मुझे कभी गलत नहीं समझते। मैं कभी भी एंटी नेशनल कोट्स नहीं दे सकता जिन्हे मेरे कोट्स तोड़ -मरोड़ के पेश करने है तो वो लोग वैसा ही करेंगे। यह सब उनकी दिमागी प्रवृत्ति का फेर है।
खासतौर पर एक पाकिस्तानी अभिनेत्री को ही क्यों चुना आपने फिल्म “रईस” के लिए ?
क्यूंकि “रईस” एक मुस्लिम फिल्म है और वह क्यूंकि मुस्लिम किरदार है तो एक मुस्लिम पत्नी ही दिखलानी थी सो माहिरा को चुना। करीना के साथ मैं फिल्म कर चूका हूँ तो उसे लेना ठीक नहीं लगा और इस फिल्म में मैं एक फैन का रोल प्ले कर रहा हूँ और एक नयी लड़की लेनी था सो माहिरा को लिया और उसका लहजा भी इस किरदार को सूट करता है।
‘दिलवाले’ के बाद आपकी आगामी फिल्में कौन सी है ?
मेरी आगामी एक फिल्म निर्देशक गौरी शिंदे के साथ है और एक फिल्म आनंद राय एवं निर्देशक इम्तियाज़ अली के साथ भी कर रहा हूँ समय आने पर इन फिल्मों की चर्चा भी हम करेंगे।