INTERVIEW!! “आज की पीढ़ी जो बहुत ही शक्तिशाली है उनके साथ काम करके उनकी एनर्जी को अपने अंदर लेने की चेष्टा करता हूं।” – अमिताभ बच्चन
लिपिका वर्मा
बॉलीवुड मेगास्टार श्री अमिताभ बच्चन ने मीडिया के साथ अपना 73वां जन्मदिन ढ़ेर सारी बातें करके मनाया जुहू में स्थित उनकी तीनों कोठियों पर मीडिया और फैंस का जमावड़ा सुबह से ही लाइन अप हो रहा था। बाकायदा समय निकाल कर वह अपने फैंस को एवं मीडिया को मिलने बाहर आये –
पेश है कुछ अंश मीडिया के साथ सवाल जवाब का –
बॉलीवुड मेगास्टार श्री अमिताभ बच्चन ने मीडिया के साथ अपना 73वां जन्मदिन ढ़ेर सारी बातें करके मनाया जुहू में स्थित उनकी तीनों कोठियों पर मीडिया और फैंस का जमावड़ा सुबह से ही लाइन अप हो रहा था। बाकायदा समय निकाल कर वह अपने फैंस को एवं मीडिया को मिलने बाहर आये –
पेश है कुछ अंश मीडिया के साथ सवाल जवाब का –
कभी पुरे बच्चन परिवार के साथ दिखाई देंगे अमितजी?
ऐश्वर्या राय बच्चन, जया और अभिषेक एवं स्वयं अमितजी को यदि कोई अच्छी स्क्रिप्ट मिले तो वह अपने परिवार के सदस्य के साथ काम करना चाहेंगे” यह उन्होंने इच्छा जाहिर की अपने जन्मदिन पर।
मैं हूं डॉन के गाने पर अमितजी ने बहुत ही स्टाइल में एंट्री मारी
बड़प्पन तो जैसे अमितजी में कूट कूट कर भरा हो, गिफ्ट्स के बारे में उन्होंने कहा, ” सामग्री के तौर पर जो गिफ्ट्स मिलते हैं उन्हें प्यार से स्वीकार लेता हूं, किन्तु परिवार के और अपने फैंस के प्यार को इन सब चीज़ों से ऊपर मानता हूं। बचपन में जब भी कोई आया करता तो पहले पूछ लेता, “क्या गिफ्ट लाये हो भैया ? पर उम्र के इस पड़ाव पर लोगों का प्यार मिलता है यह मेरा सौभाग्य है। कुछ सालों पहले तक मैं अपना जन्मदिन काम में व्यस्त रहकर ही बिताता था। किन्तु अब परिवार इसकी इजाजत नहीं देता है। क्योंकि तब मैं रात को लौटता और बहुत देर हो जाती थी। मेरा परिवार मेरा इन्तजार किया करता और आज कुछ खास नहीं किया है बस सुबह से फैंस का और मिलने जुलने वालों का अभिनंदन कर रहा हूं।
अपने आप को बड़े विशेषणों से ना जुड़ते हुए बड़ी सरलता से जवाब दिया – मैं अपने आप को इन विशेषणों के काबिल नहीं समझता हूं। हर दिन मुझे कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। अपनी कमजोरियों को भी सही करने की कोशिश करता हूं। आज की पीढ़ी जो बहुत ही शक्तिशाली है उनके साथ काम करके उनकी एनर्जी को अपने अंदर लेने की चेष्टा करता हूं।
अपने आप को बड़े विशेषणों से ना जुड़ते हुए बड़ी सरलता से जवाब दिया – मैं अपने आप को इन विशेषणों के काबिल नहीं समझता हूं। हर दिन मुझे कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। अपनी कमजोरियों को भी सही करने की कोशिश करता हूं। आज की पीढ़ी जो बहुत ही शक्तिशाली है उनके साथ काम करके उनकी एनर्जी को अपने अंदर लेने की चेष्टा करता हूं।
अपनी बायोपिक के बारे में अमिताभ ने यह साफ किया, ” मेरी बायोपिक एक आपदा होगी इस में कुछ बनाने लायक नहीं है। किन्तु मेरे पिताजी-हरिवंशराय बच्चन की बायोपिक अगर कोई बनाना चाहे तो मै उन्हें नहीं रोक सकता।
संगीत के उपकरणों को सीखने के लिए आज भी लालायित है बच्चन जी, संगीत का आत्मा से और परमात्मा से जुड़ाव होता है और संगीत मुझे बहुत पसंद है। संगीत के उपकरण पिआनो, हारमोनियम, सरोद एवं डमरु वगैरह आज भी मुझे लुभान्वित करते हैं और मेरे घर पर आज भी रखे हुए हैं। चाहता हूं इन्हे कभी फुर्सत के पलों में सीखुं।
संगीत के उपकरणों को सीखने के लिए आज भी लालायित है बच्चन जी, संगीत का आत्मा से और परमात्मा से जुड़ाव होता है और संगीत मुझे बहुत पसंद है। संगीत के उपकरण पिआनो, हारमोनियम, सरोद एवं डमरु वगैरह आज भी मुझे लुभान्वित करते हैं और मेरे घर पर आज भी रखे हुए हैं। चाहता हूं इन्हे कभी फुर्सत के पलों में सीखुं।
तीनों खान -सलमान, शाहरुख़ एवं आमिर खान जो की जल्द 50 वर्ष के होने वाले है, उन्हें बधाई देते हुए कहा – हमारे सवाल पर उन्होंने कहा वह बेहतरीन काम कर रहे हैं। बहुत सारे लोगों को वह एंटरटेन करते आये हैं और साथ ही प्रेरणास्त्रोत है कई ढ़ेर सारे लोगों के। मैं चाहता हूं की अगले १०० वर्षों तक भी वह लोगों के प्रेरणास्त्रोत रहे और युं ही उन्हें खुश करते रहे। मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
बॉलीवुड एवं हॉलीवुड की तुलना के बारे में पूछने पर थोड़ा सा ज्ञान दिया, “अपने आप की तुलना किसी दूसरी इंडस्ट्री से करना स्वाभाविक है। हालांकि जो कुछ भी वेस्ट करता है फिल्मों द्वारा उसके हम प्रशंसक है किन्तु इसके साथ साथ हम अपनी फिल्म इंडस्ट्री को लेकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। टेक्नीकल तौर से अब हमारी फिल्मे भी बेहतर हो चली हैं। टैलेंट की कमी तो वैसे भी भारत में नहीं है। टैलेंट की उपाधि हमारे अभिनेताओं में भरी हुई है। टेक्नीकली और टैलेंट भी हमारे यहां विशाल है। अब वेस्ट वाले इस बात को समझने लगे है। ”
एक समय ऐसा भी था जब हॉलीवुड की फिल्में बनाने वाले हमारी फिल्मों को कुछ नीचे स्तर पर तोलते थे। वह हमारी फिल्मों को बेहतरीन नहीं समझते हमारे यहाँ गाने और नाच को एहमियत दिया जाता है। इसलिए क्योंकि दर्शक एंटरटेन होने आता है और हमारे दर्शकों के हिसाब से फिल्में बनाई जाती है। हमारी फिल्में किन हालत में बनाई जाती रही पहले उन्हें इसका जरा भी अनुमान नहीं है। हमारी फिल्में एक आम आदमी जो ऐ सी में बैठ कर फिल्म देखने आता है उसके लिए बनाई जाती है। दिनभर के काम की थकान को मिटाने आता है हमारा आम आदमी, जो कुछ उन्हें चाहिए होता है वह हमारी फिल्में पेश करती आई है। खुश होकर वापस जाना चाहता है हर कोई जब थिएटर से बाहर निकले। अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी नहीं देखना चाहता है पर्दे पर कोई भी। यही सब वह लोग नहीं समझ पाये। उनकी अर्थव्यवस्था हमसे कहीं बेहतर है। खैर उन्हें हमारी इन परिस्तिथियों को समझना चाहिए।