Wednesday, 22 June 2016

kanika rocking all over south 22.6.2016 by lipika varma



हमने अपने काम से शादी की है – यामी पुलकित/lipika varma

INTERVIEW: “हमने अपने काम से शादी की है – यामी पुलकित

फ़िल्मी इंटरव्यू
INTERVIEW: “हमने अपने काम से शादी की है – यामी पुलकित

लिपिका वर्मा
दोनों की पिछली फिल्म,”सनम रे ” के समय मीडिया में उनकी लव स्टोरी और शादी शुदा होने की काफी सरगर्मी से चर्चा चल रही थी। क्या यह “प्रमोशनल रणनीति के तहत किया गया था या फिर यह चर्चा किसी धूए (यानि सच्चाई) की वजह से हो रही थी। यही जानने के लिए हमने यामी गौतम और पुलकित सम्राट से सीधी बातचीत की –
पेश है उनकी शादी की सच्चाई -लिपिका वर्मा द्वारा –
यामी और पुलकित आपके फैंस सोचते है कि आप रियल लाइफ में शादी -शुदा जोड़े है क्या यह सही है ?
देखिये बड़ी चालाकी से फैंस के बहाने आप अपना सवाल पेश कर रहे है इसकी मैं दाद देती हूँ। सही मायने में हमारी परदे पर जो रोकिंग केमेस्ट्री है वह इतनी धुआँधार है- कि हमारे फैंस यह सोचने पर मजबूर हो जाते है कि हम सही मायने में रियल कपल है। पर में आपको यह बतला दूँ कि फिल्म ,”जुनूनियत “मैं सुहानी का किरदार परफॉर्म कर रही हूँ और यदि सुहानी अपना किरदार अच्छे से नहीं निभाती है तो जहान (पुलकित) भी अपना किरदार अच्छी तरह परफॉर्म नहीं कर पाएगा। और इस बात की मुझे ख़ुशी है कि हमारे फैंस रील पर हमे देख कर यह सोच रहे है कि हम शादी-शुदा है। इस से यही साबित होता है कि हमारी परफॉर्मेंस उन्हें पसंद आई है।
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“और जहाँ तक आप हमे आइकोनिक स्टार्स काजोल -शाहरुख़ से हमारी केमेस्ट्री की तुलना कर रहे है इस बारे में यही कहना चाहूँगी -की हम उनके सामने बहुत छोटे है उनकी बराबरी नहीं कर सकते है। एक लव स्टोरी की सफलता का यही माप दण्ड होता है – जो परदे पर पेश करना है उस में सच्चाई नजर आनी चाहिए।
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पुलकित सम्राट -,” आप सब को मैं यह अवगत करवाना चाहता हूँ कि-कई बरसूँ पहले राम और सीता की जोड़ी ने भी यही जलवा दिखलाया था  “महाभारत सीरियल में। आज तक सारे लोग उनके पैर पड़ते है और उनका आशीर्वाद लेते है। बस यदि हमारे फैंस भी यही सोच रहे है-हम सही मायने में शादी-शुदा है तो मैं यही कहूंगा की यह हमारी ऑन स्क्रीन केमेस्ट्री की सफलता है। हमने अपने काम से शादी की है। “
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फिल्म आर्मी पर बेस्ड है सो यामी /पुलकित उनके लिए क्या करना चाहेंगे ?
यामी – देखिये, एंटरटेनमेंट के माध्यम से चाहे म्यूजिक/ डांस या फिर कोई और चीज़ हो जो आर्मी वालों के दिल को ख़ुशी दे जाये मैं वही करना चाहूंगी उनके लिए। “
पुलकित- मैं उन्हें कुछ भी नहीं दे पाउँगा। जाहिर सी बात है वह बेचारे अपनी छाती पर गोलियां खा कर हमे चैन की नींद सोने देते है, इस से ज्यादा क्या हो सकता है। बस इस पल उन्हें बहुत बड़ा दिल से ,” थैंक्यू ” देना चाहूंगा।”

Thursday, 16 June 2016

मुझे नवाज़ के साथ काम करने में कोई एतराज नहीं है न ही मैं उन्हें इग्नोर कर रहा हूँ” – इरफ़ान खान /lipika varma /mayapuri

INTERVIEW: “मुझे नवाज़ के साथ काम करने में कोई एतराज नहीं है न ही मैं उन्हें इग्नोर कर रहा हूँ” – इरफ़ान खान 

फ़िल्मी इंटरव्यू
INTERVIEW: “मुझे नवाज़ के साथ काम करने में कोई एतराज नहीं है न ही मैं उन्हें इग्नोर कर रहा हूँ” – इरफ़ान खान 

पेश है -लिपिका वर्मा की एक अनूठी पेशकश इरफ़ान के साथ
अपने इस नए लुक के बारे में क्या कहना चाहेंगे आप?
इरफ़ान खान ने अपने घुंघराले बालों  को संभालने का एक नया तरीका निकला है। ” जी हाँ ! मेरे बाल बहुत बढ़ गए है इसलिए मुझे उन्हें बांध कर रखना है। मैं होमी (डायरेक्टर) और साकेत चौधरी की फिल्म कर रहा हूँ जहन पर मुझे बड़े बाल रखने है अपने चरित्र हेतु, सो और कोई तरीका नहीं सूझा  मुझे मैंने “पोनी-टेल” बांध रखी है”
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फिल्म मदारी में किसे नचा रहें है आप?
दरअसल में। लोग मेरे इशारे पर नाच रहे है और मैं भी कभी कभार  उनके इशारे पर नाच लेता हूँ। इस फिल्म की कहानी रियल घटनाओं पर आधारित है। हमने निर्देशक निशिकांत कामत को अपनी यह कहानी सुनाई और इस तरह हम एक साथ जुड़ गए।  निशिकांत एक बहुत ही सूझ बुझ वाले निर्देशक  है और मदारी  एक एक्शन पैक्ड फिल्म है मुझे  ऐसा ही कोई निर्देशक  चाहिए था जो इस फिल्म को सही तौर से जोड़ पाए। और निशि से बेहतर निर्देशक  इस कहानी  के लिए मुझे कोई और नजर नही आया।
आप को घर पर कौन नचाता  है ?
ज़िन्दगी में एक मर्द को हमेशा उसकी बीवी ही नचाती  है। आप कभी उसकी बात से सहमत होते है और कभी उसकी बात को नकार देते है। किन्तु जैसे ही आप दोनों के जीवन में बच्चों का प्रवेश होता है आप कुछ बदल से जाते है। कई मर्तबा मैं सॉरी बोल दिया करता हूँ लेकिन जब मेरी गलती न हो तो फिर मुझे सॉरी बोलने में हिचकिचाहट भी होती  है। अक्सर सॉरी बोलने में आपको काफी बलवान होने की जरूरत होती है। मैं चाहता हूँ की सॉरी बोल दिया करूँ लेकिन कई बारी ऐसा हो नहीं पाता  है।  और मुझे गुस्सा आ जाता है, मैं अपने आप पर सयंम नहीं रख पाता हूँ।
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आपको और नवाज़ को हम कब एक साथ देख पाएंगे?
आप लोग हमेशा मुझे और नवाज़ को एक साथ देखने की ही बात क्यों करते हो। बहुत ढेर सारे अभिनेता और भी है जिनके साथ आप मुझे देखने की ख्वाईश रख सकते है? राज कुमार राव  है और रणदीप हुड्डा है और भी कई सारे इन एस डी  के बेहतरीन एक्टर्स है जिनके साथ आप लोग मुझे देख सकते है। मुझे नवाज़ के साथ काम करने में कोई एतराज नहीं है न ही मैं उन्हें इग्नोर कर रहा हूँ, बस कोई अच्छा किरदार हो तभी एक साथ देख सकते है आप लोग हमें।

Saturday, 11 June 2016

“अमित जी जिस उत्साह से आज भी सेट्स पर आते हैं हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं” – विद्या बालन/lipika varma

INTERVIEW: “अमित जी जिस उत्साह से आज भी सेट्स पर आते हैं हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं” – विद्या बालन

फ़िल्मी इंटरव्यू
INTERVIEW: “अमित जी जिस उत्साह से आज भी सेट्स पर आते हैं हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं” – विद्या बालन

लिपिका वर्मा
विद्या बालन, “तीन” प्रमोट कर रही हैं ‘तीन’ के अतिरिक्त विद्या ने सुजॉय घोष की “कहानी 2” हाल ही में खत्म की है। आगे, “बेगम जान” का किरदार निभा रही हैं जिस में मैडम बनी हुई हैं। “कमला दास” की बायोपिक भी जल्द ही शुरू करने वाली हैं विद्या। हमने जब उनसे ‘तीन’ के प्रोमोशन्स के दौरान बातचीत की तो विद्या ने हमारे ढ़ेर सारे सवालों के जवाब भी दिए –
सुजॉय घोष के साथ आपकी लड़ाई हुई फिर सुलह कैसे हुई ?
दरअसल में आप लोग सोचते होंगे कि यह बड़े लोग हैं कभी झगडा नहीं करते हैं। किन्तु सच्चाई तो यह है कि कभी हम लोग बच्चों की तरह से भी लड़ते झगड़ते हैं और रचनात्मक तौर से भी लड़ते हैं। पर जो भी है फिर एक दूसरे से बोलचाल शुरू कर ही लेते हैं। दरअसल में, “दुर्गा रानी” के लिए मन किया था क्यूंकि मैं बिमार थी उस वक़्त। हम ऐसे दिखा रहे थे कि हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ है और दो साल तक एक दूसरे से बातचीत भी नहीं की हमने।
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आप फिल्म किस हिसाब से साइन करती हैं ?
सबसे पहले तो वह किरदार मुझे अच्छा लगना चाहिए फिर उसके बाद निर्देशक फिल्म को जिस नजरिये से देख रहे हैं वही मेरा भी नजरिया है या नहीं। क्यूंकि मुझे वह किरदार कुछ महीनों तक तो जीना होता है सो यह आवश्यक है कि मेरा उस निर्देशक से तालमेल मिल रहा है या नहीं और फिर उसके बाद निर्माता कौन है ? यह भी जरुरी है क्यूंकि फिल्म को मार्किट भी करना होता है। रिलीज़ करना भी आवश्यक है। यदि यह सारी चीज़ें सही बैठ रही हो तो हिस्सा बनने में देरी नहीं करती।
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अपने फिल्मी सफर से क्या कुछ सीखा है आपने ?
दुनिया का कोई छोर नहीं होता, जब मैंने शुरू किया तब लोग मेरे बारे में अपने विचार रखते थे। मुझे बुरा लगा करता। तब मैंने उनके विचार पढ़ने बंद कर दिए। मैं यही सोचती हूँ कि यदि कोई भी नकारत्मक लिख रहा हो आपके बारे में या सोच भी रहा हो तो उससे दूर ही रहना चाहिये। बेकार अपना मन और दिमाग ख़राब नहीं करना चाहिए। सो सीख यही है कि हर दिन को झेलना आना चाहिए हर रोज़ अच्छा नहीं होता है उसी तरह हर रोज़ बुरा भी नहीं होता है। बस यही सोचती हूँ दुनिया में सब अच्छा ही है।
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अमिताभ बच्चन की माँ बनी हैं और फिल्म, “तीन” में अतिथि कलाकर का किरदार अदा कर रही हैं। कैसा अनुभव रहा उनके साथ काम करने का ?
हम सब अमिताभ सर से कुछ न कुछ सीखते ही हैं आज वह 76 साल के हो चुके हैं पर ज़रा सा एहसास भी नहीं होता है। वह हमेशा ही कुछ न कुछ अलग करके अचम्भित कर ही देते हैं। गज़ब की एनर्जी है उन में। बस यह ज़रूर है कि सह कलाकर की हैसियत से मैं उन्हें अमिताभ करके नहीं देखती हूँ क्यूंकि जब हम यूं ही बैठे हो तो वह भावना आ ही जाती है जब मैं उनसे कुछ घबरा सी जाती हूँ। सो कैमरे के सामने यही सोचती रहती हूँ कि वह मेरे सहकलाकार ही हैं। जिस उत्साह से वह आज भी सेट्स पर आते हैं हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत ही हैं।

Wednesday, 1 June 2016

“मेरा खजाना मेरे पिताजी एवं दादाजी की चिट्ठियाँ हैं”- अभिषेक बच्चन/lipika varma mayapuri

INTERVIEW: “मेरा खजाना मेरे पिताजी एवं दादाजी की चिट्ठियाँ हैं”- अभिषेक बच्चन

फ़िल्मी इंटरव्यू
INTERVIEW: “मेरा खजाना मेरे पिताजी एवं दादाजी की चिट्ठियाँ हैं”- अभिषेक बच्चन

लिपिका वर्मा
अभिषेक बच्चन की हाउसफुल – 3 रिलीज़ पर है लिपिका वर्मा के साथ एक अनूठी भेंटवार्ता में उन्होंने पिता अमिताभ बच्चन ने तीन बारी नेशनल अवॉर्ड जीता है उस बारे में, बेटी आराध्या,  माँ-जया, पत्नी ऐश्वर्या और फिल्मों के बारे में दिल खोल कर बातचीत की –
हाउसफुल-3, एक फ्रैंचाइज़ी है और आप पहली बारी इस फिल्म का हिस्सा बने हैं क्या कहना चाहेंगे ?
हाउसफुल एक बहुत ही मजेदार सीरिज है और इसका हिस्सा बन कर बहुत ही मजा आया। हाउसफुल 1 और 2 जिन्होंने भी देखी होगी वह हाउसफुल 3 भी जरूर देखेंगे यह निश्चित है। मैंने जैसे ही स्क्रिप्ट सुनी केवल एक मिनट में ही मैंने हामी भर दी।
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श्री अमिताभ बच्चन जी की किसी भी फिल्म का सीक्वल बनाया जाए तो क्या आप उसमें काम करना चाहेंगे क्या ?
जी हाँ! मेरे हिसाब से उनकी सीक्वल फिल्म में मेरे अलावा कोई भी सही नहीं बैठेगा। पर मैं उनकी किसी भी सीक्वल फिल्म में काम नहीं करूँगा सीधी सी बात है यदि मैं उनके सीक्वल में काम करता हूँ तो आप लोग मेरा पोस्टमार्टम कर देंगे। आप ही मीडिया वाले यही कहेंगे कि अभिषेक – अमिताभ की तरह काम नहीं कर पाए। दरअसल में उनकी सारी फ़िल्में दी बेस्ट हैं हमें उन्हें छूना भी नहीं चाहिए। उनकी फिल्मों को छू कर हम न्याय नहीं कर पाएंगे।
पिता अमितजी के साथ जूनियर बच्चन के रिश्ते कैसे हैं ?
बचपन से लेकर आज तक उन्होंने मुझे अपने दोस्त की तरह ही ट्रीट किया है मुझे और आज भी हम वही दोस्ती का रिश्ता रखते हैं। मेरी माँ कुछ स्ट्रिक्ट रही वह हमारी लगाम कसती रहती। किन्तु अब कुछ समय बाद हम उनकी पहुँच के बाहर हो गए पर पिताजी हमेशा – जो हम करना चाहते वह हमे करने दिया करते।
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अमिताभ बच्चन तीसरी बारी नेशनल अवॉर्ड पा चुके हैं क्या कहना चाहेंगे ?
हम सबको इस बात पर गर्व है। जाहिर सी बात है हम सब को अच्छा लगता है कि हमारे पिताजी को तीसरी बारी नेशनल अवॉर्ड मिला है और इन सब मौकों पर हम सब एक साथ होते हैं इस से अच्छी बात क्या होगी। केवल आराध्या को हम अंदर नहीं ले जा पाए क्यूंकि बच्चों को अंदर ले जाने की परमिशन नहीं थी। यही फैमिली टाइम होता है हमारे लिए।
कुछ सोच कर अपनी पत्नी की फिल्म ‘सरबजीत’ के बारे में बोले, “एक ही समय पर ‘सरबजीत’ की और मेरी फिल्म – हाउसफुल की डबिंग थिएटर में चल रही थी सो मैंने ऐश के साथ कुछ अंश सरबजीत के भी देखे थे फिल्म रिलीज़ होने से पहले। फैमिली बॉन्डिंग हम भारतीय परिवारों को एक साथ बांधे रखती है यही हमारे लिए बहुमूल्य है।
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अभिषेक का खजाना क्या है ?
मेरे पिताजी ने बचपन से लेकर आज तक जो मुझे चिट्ठियां लिखी हैं और मेरे अपने दादाजी माँ – पिताजी के साथ और अन्य परिवार के साथ जो फोटोज हैं वह मेरे खजाने में रखी हुई हैं। आराध्या के साथ शुरू से लेकर अब तक जितनी फोटोग्राफ्स हैं और ऐश के साथ शादी से लेकर सारी यादें मैंने अपने खजाने में रख छोड़ी हैं। जितने भी पत्र मेरे पितजी ने मुझे स्कूल के समय लिखे थे उन्हें पढ़ता हूँ आज भी तो ढ़ेर सारा ज्ञान मिलता है मुझे। जो लेख में बचपन में अपने रजिस्टर में लिखा करता ताकि मेरी लेखनी सुधर जाये वह सब भी मैंने खजाने में रख छोड़े हैं और क्या पैसों से ज्यादा यही सब हम इन्सानों के लिए बहुमूल्य होते हैं।
क्या आप आराध्या को लेटर्स लिखते हैं ?
जी हाँ लिखता हूँ। अभी वह बहुत छोटी है समय आने पर जरूर पढ़ेगी। आजकल तो वह यह समझने लगी है कि मम्मी-पापा, दादा-दादी सब पोस्टर्स और बड़े एवं छोटे परदे पर आते हैं। पहले काफी अचम्बा हुआ करता उसे कि हम लोग सामने बैठे हुआ करते हैं फिर टेलीविज़न के अंदर कैसे आ जाया करते हैं।