Sunday, 21 February 2016
Friday, 19 February 2016
“मैं मैरिज मटेरियल नही हूँ भाई मेरे अंदर चस्का, ग्लैमर और फैशन सब एक साथ बसते हैं” – सुखविंदर फ़िल्मी इंटरव्यू19 FEB, 2016/lipika varma COMMENTS: 0
INTERVIEW!! “मैं मैरिज मटेरियल नही हूँ भाई मेरे अंदर चस्का, ग्लैमर और फैशन सब एक साथ बसते हैं” – सुखविंदर
19 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
गायक सुखविन्दर सिंह आज बॉलीवुड म्यूजिकल क्षेत्र की ना केवल एक जानी -मानी हस्ती हैं बल्कि अपने विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते हैं – हाल ही में उन्हें एक एलबम सांग के लिए ढ़ेर सारी सराहना मिली थी किन्तु उनका मानना है कि रंगीन जीवन और एंटरटेनिंग गानों से सब का दिल जीता जा सकता है सो वह हर तरह के गीत गाते है जिनसे उनके सुनने वालों को कुछ पल के लिए ही सही लेकिन ख़ुशी मिल जाये।
सुखविंदर का बचपन कैसा होगा ?
मुझे शायद लोरी किसी ने नहीं सुनाई होगी बचपन में। शायद इसलिए आज भी जब तक मैं, “चन्दामामा” की कहानी ना सुन लूँ और मेरे सर पर जब तक कोई अपना हाथ ना फेरे मुझे नींद ही नहीं आती है। आपको यह जान कर ताज्जुब होगा कि मेरे पास बाकायदा एक ऐसा बंदा अपाइंट किया गया है भारत में और बाहर मुल्क में जब भी में जहाँ होता हूँ तो मुझे यह लोग परियों की और चन्दामामा की कहानियाँ एवं लोरी सुना कर सुलाते हैं। हर रात मैं लताजी और आशा जी के गाने भी जरूर सुनता हूँ, तब जाकर मुझे अच्छी नींद आती है।
अपने बचपन से जुड़ी थोड़ी बहुत बातें हमारे साथ शेयर करना चाहेंगे ?
मैं जब केवल 12 वर्ष का ही था तब से मैं जर्मन, इंग्लिश एवं रशियन ओपेरा सुनकर ही बड़ा हुआ हूँ। हॉलीवुड से यह टेक्निक भारतवर्ष में आई है किन्तु आजकल म्यूजिक में इस का प्रयोग कम्पोज़र्स और गायक बनने हेतु बहुत किया जाता है। यही दुःख की बात है। दरअसल “हैदर” फिल्म और अब “रंगून” में भी जो गाना मैंने गाया है वह ओपेरा से ही प्रेरित हुआ है। मेरे लिए म्यूजिक और लाइफ दोनों जुनून और स्टाइल का मिश्रण है।
सुखी ने म्यूजिक एवं गायन कब, कितनी उम्र से शुरू किया ?
हंस कर बोले – आपको ताज्जुब होगा मेरी अध्यापिका को मैंने पहली बारी, “यशोदा मईया से पूछे नंदलाला” गाना सुनाया था। ज्यों ही मैंने गाना खत्म किया तो मेरी टीचर ने मेरे गाल को चूम लिया। उसके चुंबन से मेरे सारे शरीर में एक झुनझुनाहट फैल गयी। तब मैं केवल ६/७ वर्ष का ही था। बस फिर क्या था गाना और ग्लैमर दोनों ही मेरे साथ जुड़ गए। मेरे पास स्टाइल और ग्लैमर हो तो मेरा जुनून अपनी गति बहुत तेजी से पकड़ता है। एक बारी मैंने अपनी टीचर से बहुत बड़ी चीटिंग की मैंने गाना खत्म होने के बाद उसके होंठो को चुम लिया, बस वह मेरा आखिरी दिन था। उस दिन से टीचर ने मुझ से गाना सुनना बंद ही कर दिया। किन्तु उस दिन से मुझे म्यूजिक और गाने की लत लग गयी और खुश हूँ कि आज मैं यहाँ बॉलीवुड में अपने म्यूजिक से लोगों को खुश कर पाता हूँ।
आप ने शादी क्यों नहीं की अब तक?
देखिये सीधी सी बात है – मैं कभी भी उठ कर गाने का रियाज़ करने लगता हूँ और कई मर्तबा तो मैं बिल्कुल एकांत में रहना पसंद करता हूँ। दरअसल मैं मैरिज मटेरियल नही हूँ भाई। मेरे अंदर चस्का, ग्लैमर और फैशन सब एक साथ बसते हैं तो मुझे हर चीज़ में ग्लैमर का तड़का लगाना पसंद है। आप को मैं बता दूँ जब भी मैं स्टूडियो में गाना रिकॉर्ड करने जाता हूँ तो मेरे चारों तरफ यदि रोमांटिक गाना हो तो फूलों के गुलदस्ते सजे होने चाहिए और यह मैं अपने खर्चे पर ही करवाता हूँ। ऐसा करने पर मुझे बहुत अच्छा फील होता है और लाइट्स भी अंदर की बंद होनी चाहिए। स्टूडियो में ही मुझे स्टेज का फील मिलना चाहिए तो खुशगवार सा मौसम महसूस होता है और मैं अपना बेस्ट दे पाता हूँ। इसके साथ साथ मुझे हेल्दी फ्लर्टिंग भी पसंद है यदि कोई लड़की अपना दस पर्सेंट दे तो मैं उसे पूरा 100 परसेंट देने को तैयार हो जाता हूँ” हंस कर सुखी बोले
ए. आर. रहमान की तारीफ में सुखी ने कहा, “मुझे बहुत ख़ुशी है कि, ” जय हो” उन्होंने बहुत अच्छी तरह से प्रेजेन्ट किया। यह एक गाना मैंने बचपन से संजोय रखा था। मुझे इस बात का खेद है कि मैं ऑसकर मिलने पर वहां परफॉर्म नहीं कर पाया पर इस बात की ख़ुशी है कि रहमान ने हॉलीवुड में अपने झंडे बखूबी गाड़े हैं। यदि रहमान ने मुझे यह सुनहरा मौका नहीं दिया होता तो मैं आज कुछ भी नहीं होता”
कुछ रुक कर रहमान की ख्वाहिश जाहिर करते हुए सुखी ने हमें बताया रहमान हमेशा से ही मुझे कहते हैं, “आई वांट टू सी सुखी जूनियर सून!”
आज म्यूजिक टेक्निकली एडवांस हो गया है इस बारे में क्या कहना चाहेंगे ?
सच्चाई तो यह है कि हमारी इन्डस्ट्री में गिने चुने 6/7 बेहतरीन सिंगर्स ही है। आजकल इस तकनीकी की वजह से कम्पोज़र्स भी गाने लगे है, जबकि वह बहुत अच्छे कम्पोज़र्स हैं किन्त अपने गाने के हिसाब से म्यूजिक में उतार चढ़ाव लाते हैं इस तकनीकी हेतु हमारा गाने का स्तर गिर रहा है। मेरा उनको सुझाव है कि वह किसी बेहतरीन सिंगर से अपनी कम्पोजीशन गवाएं और फिर देखें उनके गाने सब हिट हो जायेंगे। भला मेरे से ना गवाएं। मैं नहीं चाहता कि उनका समय निकल जाये और फिर वह कुछ ना कर पायें। मेरी दिली ख्वाहिश है कि उनका कम्पोजीशन सब को नजर आये। आजकल इस तकनीक की वजह से स्टेज पर भी ऑनलाइन एडिटिंग का चलन हो चला है। हमारे देश में टैलेंट की कमी नहीं है बस उसे सही दिशा मिलनी चाहिए मेरे हिसाब से अचीवर्स कुछ गिने चुने ही हैं। बाकी सब भीड़ है किन्तु उस भीड़ में भक्त भी हैं जिनको ईश्वर ने सुर से नवाज़ा है। बाकी तो सब तकनीक के बल बुते पर जमे हुए हैं।
टेलीविजन शो के जज बनना पसंद करेंगे सुखविंदर ?
मुझे टेलीविजन पर जज से ज्यादा मेंटर बनना पसंद होगा क्योंकि मुझे मालूम है कि हमारे देश में ढ़ेर सारा टैलेंट हैं और उन्हें मेंटर्स सही दिशा दे सकते हैं।
फिल्म, रसुल्तान, सबरजीत और रंगून में आपके गाने नजर आने वाले है, आप एक्टर को जेहन में रख कर गाते है क्या?
जी नहीं, मैं करैक्टर को जहन में रख कर गाता हूँ। सीधी सी बात है ‘सुल्तान’ में सलमान भी करैक्टर में नजर आयेंगे तो उन्हें क्यूं जहन में रखूँ। मेरे म्यूजिक डायरेक्टर के सुझाव के साथ मैं गाना गता हूँ ताकि में अपने गाने में जो उन्हें चाहिए वो दे पाऊं। सरबजीत में भी मैंने सुझाव दिया कि यह ग्रे करैक्टर जरूर है लेकिन सरहद के इस पार जब वह रहा होगा तो उसकी ज़िंदगी ग्लैमरस भी होगी सो मैंने एक बहुत ही बढ़िया गाना लिखा है जो जल्द ही हम रिकॉर्ड करने वाले हैं। मुझे अपने लोगों को एंटरटेन करना है इसलिए मुझे ग्लैमर का तड़का पसंद है। वैसे भी हमारी फिल्मों में भले ही दो लाइन की कहानी हो दोस्त, प्यार और रिश्तों की कहानी हो उस में उतार-चढ़ाव तो दिखलाते हैं हम ३ घंटे तक एंटरटेनमेंट का तड़का लगा कर। ”
Wednesday, 17 February 2016
“बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना – सो रियल लाइफ में भी मैंने सोचा गाना ही गा लूँ” – हेमा मालिनी /lipika varma फ़िल्मी इंटरव्यू17 FEB, 2016 COMMENTS: 0
INTERVIEW!! “बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना – सो रियल लाइफ में भी मैंने सोचा गाना ही गा लूँ” – हेमा मालिनी
17 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
हाल ही में ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी का एक एलबम लांच हुआ जिसे बाबुल सुप्रियो ने अपनी आवाज़ दी है और कंपोज़ भी किया है। सबसे यादगार बात यह थी कि एलबम लांच के दौरान, “शोले की सारी टीम मंच पर एक साथ मौजूद थी और जो चुस्किया लेकर धरमजी, अमितजी, जया और हेमा मालिनी ने समा बांधा वह काबिले तारीफ था –
लिपिका की नजर से कुछ हाईलाइट पल पेश है –
अमिताभ बच्चन – अभी जब हम लोग आपकी एलबम लांच के लिए रवाना हुए तो गाड़ी में बैठी जया मुझ से बोली हेमा मालिनी कितना काम कर रही हैं राजनीति में भी सक्रिय है जब देखो मथुरा पहुँच जाती हैं अपनी कंस्टीट्यूएंसी की देख रेख हेतु। डांस प्रोग्राम में भी हिस्सा लेती हैं और फिल्मों में भी सक्रिय हैं और अब तो सिंगर भी बन चली है। हम लोग कुछ भी नहीं कर पाते हैं। तब मैंने जया जी से कहा – चिंता ना करें अब हम लोग भी ढ़ेर सारे काम करेंगे।”
इस पर धर्मेंद्र ने पलट वार करते हुए कहा – “यार यह मेरा छोटा भाई है और बॉलीवुड इंडस्ट्री का सबसे कार्यरत इंजन है सब इसको ही फॉलो करते है। बस यही चाहता हूँ इस पर हमेशा भगवान का आशीर्वाद बना रहे। ”
हेमा इस पर बोली, धरमजी शेरो शायरी में माहिर हैं, वह कुछ अच्छी शयरियां लिखेंगे और उन्हें अमितजी गाएंगे साथ में – मैं उनके साथ गाउंगी।
अमित जी ने तुरंत जवाब दिया – मेरी शादी को लगभग साल हो गए हैं और मैं आज तक गा ही रहा हूँ। ”
इस पर हंस कर जया जी बोली – यह 42 साल से गा रहे हैं और मैं इनके इशारों पर नाच रही हूँ।
जया जी पुरानी बातें याद कर बोली – धरम जी ही एक पहले ऐसे हीरो रहे मेरे जिनकी फोटो मैंने बचपन से अपने पास रखी हुई है – यह बहुत ही लाजबाव शख्स हैं – कुछ रुक कर बोली, “और लाजवाब पार्टनर भी हैं हेमा मालिनी के लिए। ”
माहौल कुछ हल्का करते हुए हेमा जी बोली – वीरू ने बसंती से कहा था फिल्म शोले में, “बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना – सो रियल लाइफ में भी मैंने सोचा गाना ही गा लूँ।
Tuesday, 16 February 2016
Monday, 15 February 2016
“क्रिकेट से मॉडलिंग और फिर फिल्म” – कृष्णा फ़िल्मी इंटरव्यू15 FEB, 2016/lipika varma
NTERVIEW!! “क्रिकेट से मॉडलिंग और फिर फिल्म” – कृष्णा
15 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
कृष्णा चतुर्वेदी अपनी डेब्यू फिल्म, “इश्क़ फॉरएवर” से अपनी बॉलीवुड जर्नी को सशक्त बनाना चाहते हैं। इस नए और उभरते कलाकार से बातचीत के दौरान लिपिका की पेनी नजरों ने बहुत कुछ पूछ लिया और कृष्णा ने सवालों के जवाब बेहद आसानी से दिए
अपने बचपन के बारे में कुछ बतलायें फिल्मों में शुरू से रुझान था क्या?
मैं बचपन से ही बिस्तर पर लेट कर फिल्में देखा करता था। मुझे आज भी याद है कि मेरे मम्मी-पापा मुझे फिल्म, “देवदास” दिखाने ले गए थे जब मैं बहुत छोटा सा था। कुछ बड़े होने के बाद मेरी रूचि क्रिकेट में बढ़ गई। मैं अंडर 16 क्रिकेट खेला करता और उस में मेरा चयन भी हो गया। वही पर एक फ्रेंड ने मुझे कहा – तुम मॉडलिंग में अपना लक क्यों नहीं तय करते। बस वहां से मेरी मॉडलिंग शुरू हो गई। 2011 में वेन ह्यूसन मेन्स वीक में रैंप पर चलने का मौका मिला और बस वहीं से मेरी फिल्मों की जर्नी भी शुरू हुई।
आपको, “इश्क फॉरएवर” फिल्म कैसे मिली?
प्रोड्यूसर शबीर बॉक्सवाला ने मुझे मैसेज करके अपने ऑफिस बुलाया, पहले तो मैंने सोचा कि यह सही व्यक्ति से ही मैसेज आया है या फिर यूं ही किसी ने खिलवाड़ किया है मुझसे। मैंने जब उनके बारे में रिसर्च किया तो जाना कि वह बहुत ही जाने-माने फिल्मकार हैं। बस फिर मैं उनसे जाकर मिला और मुझे फिल्म में मेल लीड का किरदार मिल गया। जब मुझे इस फिल्म के लिए साइन किया गया तो मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
फिल्म के लिए कितनी मेहनत की है आपने ?
मेरी पहली फिल्म, “इश्क फॉरएवर, इस शुक्रवार को रिलीज़ हो रही है, मैं बहुत उत्सुक हूँ पर साथ ही कुछ नर्वस भी हूँ, इस फिल्म के लिए मैंने अपना 100 पर्सेंट तो दिया ही है। मेहनत करना किसी भी प्रोफेशन में बहुत अनिवार्य होता है। सक्सेस पाना है तो मेहनत बहुत ही जरुरी है। हाल ही में वरुण धवन, सिद्धार्थ मल्होत्रा, सूरज पंचोली एवं टाइगर ने बॉलीवुड में कदम रखा है और उन सब को भी देख कर मुझे इस बात का एहसास हो गया है कि यदि कुछ कर गुजरना है तो बस मेहनत और मेहनत से ही यह मुमकिन हो पायेगा।
अपने किरदार के बारे में कुछ बतलायेंगे ?
आर्यन शेखावत का किरदार प्ले कर रहा हूँ फिल्म में। मेरा निजी किरदार भी आर्यन से बहुत मिलता जुलता है। मैं साहसी हूँ इसी किरदार की तरह मैं भी जर्नी में विश्वास करता हूँ। इस जर्नी के दौरान मेरी भेंट लीड एक्टर रूही सिंह से हो जाती है और उसके बाद क्या कुछ होता है ये फिल्म देख कर ही पता चलेगा।
एक्शन भी किया है फिल्म में आपने ?
जी हाँ एक्शन डांस और ड्रामा सब कुछ है फिल्म में, मुझे इस कमरे से बहुत प्यार है जहाँ हम बैठ कर बातचीत कर रहे हैं। दरअसल में यहाँ पर एक बैग लटका कर ही रोज़ मुक्के बाजी की प्रैक्टिस किया करता और फिल्म में एक्शन भी भरपूर देखने को मिलेगा। डांस मैंने श्यामक डावर से सीखा है।
Kareena to break the norm of working with younger actors? THE HANS INDIA | Feb 15,2016 /lipika varma, 04:47 PM IST
Kareena to break the norm of working with younger actors?
THE HANS INDIA | Feb 15,2016 , 04:47 PM IST

Well while the film divulges into the subject of society being gender bias and women are subjected to not getting an equal treatment like that of their husbands'. R.Baalki has been generous enough letting the men get into a wife’s shoes by being the Home Maker and allow the wife to be the bread earner.
Saturday, 13 February 2016
“रोमांस की जटिलता यदि जीवन को सुखमय बना दे तो उससे अच्छी चीज़ कुछ भी नहीं होती है” अभिषेक कपूर ताजा खबर14 FEB, 2016/lipika varma COMMENTS: 0
INTERVIEW!! “रोमांस की जटिलता यदि जीवन को सुखमय बना दे तो उससे अच्छी चीज़ कुछ भी नहीं होती है” अभिषेक कपूर
14 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
निर्देशक अभिषेक कपूर की फिल्म रॉक ऑन, कायपोचे इत्यादि ने बॉक्स ऑफिस पर झंडे गाढ़े हैं पर फितूर क्या रंग दिखलाती है यह तो भगवान ही जानें ? रेखा ने बीच में फिल्म छोड़ दी तो तब्बू ने बेगम का किरदार करने को हामी भरी। कई सारी दिक्कतों के बाद यह फिल्म अब पर्दे पर रिलीज़ हो चुकी है। निर्देशक अभिषेक को इस फिल्म से बहुत उम्मीदें जुडी हैं, क्यूंकि यह उनकी पहली रोमांटिक फिल्म है।
एक अनूठी भेंटवार्ता में लिपिका वर्मा के ढ़ेर सारे सवालों का जवाब बड़ी सरलता से अभिषेक ने दिए –
“फितूर” ही क्यों रोमांटिक जोनऱ में ?
बचपन में, “ग्रेट एक्सपेक्टेशेन्स यह किताब पढ़ रखी थी और हमेशा से ज़हन में था कि कभी कोई रोमांटिक कहानी निर्देशित करूँगा तो इसी किताब की रोमांटिक कहानी को पर्दे पर पेश करूँगा। इस कहानी में प्यार की जटिलता बखूबी पेश की गयी है और वही एंगल मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
रोमांस की जटिलता के बारे में आपका क्या कहना है ?
देखिये, यही एक रिश्ता होता है जहाँ पर दूसरा बन्दा आपकी पर्सनेलिटी पर हावी हो जाता है आपका व्यक्तित्व कंट्रोल करने लगता है। प्यार ही एक ऐसा रिश्ता है जहां पर एक दूसरे का स्पेस खो जाता है। यदि इस मोहब्बत की खुशबू हो तो जीवन सफल हो जाता है पर यदि उसकी बदबू फैल जाये तो जीवन नष्ट हो जाता है। रोमांस में नजदीकियां हो तो बहुत अच्छा भी लगता है। यह रिश्ता एक अजीब रिश्ता होता है। हर कोई इस रिश्ते से गुजरने की इच्छा रखता है। रोमांस की जटिलता यदि दो जीवन को सुखमय बना दे तो उससे अच्छी चीज़ कुछ भी नहीं होती है।
एक मर्द हमेशा चाहता है कि औरत उसका पहला प्यार हो ? जबकि औरत चाहती है कि मर्द उसका आखिरी प्यार हो। ..क्यों?
यह एक बायोलोजिकल मुद्दा है, आदमी हमेशा अपने आपको को अव्वल रखना चाहता है, यह उसकी दिमागी उपज है। इसे मेल सिंड्रोम कहा जा सकता है। यह सब हमारी सामाजिक तौर तरीके की वजह से होता आया है। प्यार में दिल हावी होता है जबकि दिमाग नहीं और यदि कोई भी दिमाग से सोच समझ कर प्यार करे तो वह प्यार नहीं एक समझौता होता है। दरअसल में प्यार में कोई फंडा नहीं होता है, जिसके पास प्यार ही नहीं है तो वह दूसरे को प्यार क्या देगा।
आजकल के बच्चे पन्ने की तरह प्यार बदलते हैं क्या कहना चाहेंगे?
ऐसा नहीं है। प्यार आज भी लोग जी जान से करते हैं। कौन नहीं चाहता कि उसका भी कोई साथी हो ? हर कोई एक साथी की तलाश में रहता है। बस तरीका अलग हो गया है आजकल मोबाइल है, वाट्स एप है और इंटरनेट की सहूलियत भी है सो फ़ास्ट फॉरवर्ड हो गया है रोमांस।
रेखा के साथ आगे काम करने का चांस मिलेगा आपको ? मलाल है कि रेखा बीच में ही काम छोड़ कर चली गयी ?
देखिये, मैं जरूर चाहूंगा कि रेखा के साथ आगे भी काम करूँ पर मेरे चरित्र कहानी से आते है। पहले मैं कहानी पर काम करता हूँ यदि रेखा मेरे चरित्र के लिए सही होगी तो जरूर उनके पास जाऊँगा। मेरी कहानी का किरदार यदि बराक ओबामा भी होगा तो मैं उसे अप्रोच करूँगा। रही बात रेखा की फिल्म आधे अधूरे में छोड़ कर जाने की तो यह जरूर सोचता हूँ निर्देशक होने के नाते मेरा कोई तो गलत कदम होगा जिस से रेखा को ठेस पहुँची होगी।
अगली कौन से जोनर की फिल्म होगी ?
अभी कुछ सोचा नहीं है। क्यों नहीं पोलिटिकल जोनर भी हो सकती है मेरी अगली फिल्म।
मेरी माँ मेरी रोल मॉडल हैं – शबाना आज़मी फ़िल्मी इंटरव्यू13 FEB, 2016 COMMENTS: 0/lipika varma
INTERVIEW!! मेरी माँ मेरी रोल मॉडल हैं – शबाना आज़मी
13 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
शबाना आज़मी ने अपने परिवार, माँ और अपनी जीवन यात्रा को बायोपिक में ढ़ालने की इच्छा जताई। अपनों से जुदा होने का डर भी सताता है शबाना को। नीरजा फिल्म में माँ के किरदार को लेकर हर माँ की तारीफ में बोली शबाना। “मैं अपनी बायोपिक लिखना चाहती हूँ। मेरे जीवन में ढ़ेर सारे ऐसे हादसे हुए हैं कि उन्हें बयान करना जरुरी है और इसी वजह से लोगों को मेरी बायोपिक दिलचस्प भी लगेगी। किन्तु मैं सच्चाई से अपनी बायोपिक लिखना चाहूंगी। मुद्दा यही है कि यदि मैं सच लिखती हूँ तो काफी लोगों को तकलीफ होगी। समय ही बतायेगा कि मेरी बायोपिक मैं लिखती हूँ या नहीं??
‘नीरजा’ फिल्म मिलने पर कैसा लगा ?
मुझे इस बात का ताज्जुब हुआ कि एक साल पहले जब मैं नीरजा भनोट पुरस्कार समारोह में शामिल होने गयी और वहां पर रमा भनोट (नीरजा की माँ) से मिली तो एहसास हुआ कि रमा कितनी मिलती जुलती है सब माओं से उसे भी यही इच्छा होती कि बेटी का जीवन अच्छी तरह से आगे बढ़े। वह अपनी बेटी को खो चुकी थी इस बात का दर्द तो था ही उन्हें लेकिन कुछ समय बाद यह दर्द ख़ुशी में बदल गया, वो यही सोचती कि मेरी बेटी बहुत साधारण होते हुए भी अपने देश के लोगों की जान बचाने में सफल रही। इस बात का गर्व महसूस होने लगा उन्हें। एक माँ का इस तरह से ताकतवर होना काबिले तारीफ है। नीरजा का त्याग जाया नहीं गया।
कुछ रुक कर शबाना बोली, “फिल्म ‘नीरजा’ जागरूकता की एक मिसाल होगी। अव्वल तो यह लड़की बहुत ही साधारण सी होते हुए भी इतनी हिम्मती हो गयी हादसे के दौरान जिस से यह प्रत्यक्ष होता है कि [औरत] जननी हर हाल में ताकतवर होती है। समय आने पर कुछ भी कर सकती हैं। किस तरह चंडी का रूप धारण कर ‘नीरजा’ ने सब का डर दूर करने की कोशिश की। यह फिल्म बहुत ही ईमानदार फिल्म है क्योंकि नीरजा ने जो कुछ भी किया बड़ी ईमानदारी से किया। रोचक तो है ही फिल्म किन्तु रोमांचक भी लगेगी आप सब को।
शबाना को किस बात से डर लगता है ?
मुझे अपनों को खोने से बहुत डर लगता है। जब मैं इस बातचीत के लिए घर से निकल रही थी तो माँ ने पुछा खाना कहाँ खाओगी और किस वक़्त घर लौटोगी ? कितना ख्याल रखती है हर माँ। मेरी माँ को मैंने कहा -बस जल्दी से लौट कर आती हूँ और आपके पेट में वापस चली जाऊँगी। मेरी माँ मेरी रोल मॉडल हैं। बस यही कि अपनों को खोना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता है किसी को भी। इसी बात का डर लगता है मुझे भी।
आपकी माँ से इस किरदार के लिए आपने क्या कुछ ग्रहण किया ?
मेरी माँ एक होम मेकर तो हैं ही साथ में वह बहुत ही अच्छी कुक भी हैं। मुझे याद है मेरे पिताजी लगभग ४ बजे माँ से कई मरतबा कहते, शौकत कुछ मेहमान आने वाले हैं। माँ कहती तो खाने पर बुलाया है उन्हें फिर मुझे इतनी देर से क्यों इत्तला कर रहे हो? पापा कहते -डर रहा था। ..माँ कहती तो अब डर नहीं लग रहा है ? खैर २५ लोगों का खाना बनाना हो तो भी मेरी माँ उतना ही स्वादिष्ट खाना बनाती। मेरे यहाँ मिथुन चक्रबोर्ती, ज़रीना वहाब, कंवलजीत और कई लोग आया करते खाने पर। मेरी माँ बहुत ही निष्पक्ष औरत है। अगर ज़रीना वहाब को कोई किरदार मिल जाये तो भी वह खुश होती। ऐसा नहीं था कि बस उनकी बेटी का ही अच्छा होना चाहिए। वह सब को प्यार से गले लगाती हैं वह प्यार का सागर है। मेरी माँ – शौकत मेरी रोल मॉडल हैं किन्तु मेरे पापा के साथ मेरी बहुत सी कहानियां शेयर की जाती है और माँ के साथ कुछ भी नहीं लिखा जाता।
आपका प्रेरणा स्त्रोत कौन है ?
घर के माहौल से ही प्रेरित हुई हूँ। मेरे यहाँ पापा और माँ दोनों ही सब कुछ किया करते। यदि माँ बाहर गयी हो तो पापा मुझे और मेरे भाई बाबा को तैयार कर स्कूल भेजा करते। हम एक कम्युनिस्ट परिवार से आते हैं और बहुत छोटे से घर में रहते थे जहां पर ८ लोगों के बीच एक टॉयलेट हुआ करती। मेरे पापा किचन में भी काम कर लेते थे और आगे जीवन में श्याम बेनेगल, जेनिफर कपूर और जावेद [पति] से भी अत्यधिक प्रेरित हुई हूँ।
अपनी कुछ यादें ताज़ा करके पिछली फिल्मी जर्नी के बारे में कुछ बताएं ?
मुझे आज भी याद है जब हम ‘अर्थ’ फिल्म कर रहे थे तो डिस्ट्रीब्यूटर्स चाहते थे कि फिल्म का क्लाइमैक्स बदला जाये। किन्तु भट्ट साहब और हमने कहा कि क्लाईमेक्स ऐसा ही रहेगा। क्लाईमेक्स की वजह से ही तो हम यह फिल्म बना रहे हैं। खैर फिल्म कमर्शियल हिट साबित हुई पर हाँ इस फिल्म के बाद मुझ में बहुत बदलाव आया क्योँकि, बहुत सारी औरतें मेरे पास अपनी शादी शुदा जीवन के बारे में उपाय लेने आया करती। बस इस के बाद मैं औरतों के लिए काम करने लगी । सो फिल्म, “अर्थ” मेरे लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुई मेरे जीवन में।
“भगवान के नाम पर हमारी फिल्में देख लो बाबा” – करण जौहर/lipika varma
INTERVIEW!! “भगवान के नाम पर हमारी फिल्में देख लो बाबा” – करण जौहर
13 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म जब कभी भी बड़े पर्दे पर आ रही होती है तो लोग उनकी फिल्मों का बेचैनी से इंतज़ार कर रहे होते हैं। फिल्म “कपूर एंड संस” के ट्रेलर लांच पर सभी स्टार्स उपस्थित रहे पर ना जाने क्यों ऋषि कपूर आये और चले गए शायद समय से इवेंट शुरू नहीं हुआ इसलिए वो नाराज हो कर चले गये ??
करण जौहर ने अपनी बातों से समा बांधे रखा तो आलिया ने अपने अंदाज़ में प्रश्नों के जवाब दिए वहीं सिद्धार्थ मल्होत्रा और फवाद खान भी मंच पर प्रश्नों को अच्छी तरह झेलते हुए नजर आये –
आईये लिपिका वर्मा की नजरों से देखें “कपूर एंड संस” की प्रेस मीट क्या कुछ हुआ”
करण जौहर
“ऋषि कपूर का प्रोस्थेटिक मेकअप करने में करीब चार से पांच घंटे लगते थे। ऋषि कपूर हमारे साथ लगभग 4/5 फिल्मों से जुड़े हुए हैं और इस फिल्म में नाना का किरदार अदा कर रहे हैं।”
करण जौहर
“कपूर एंड संस” की प्रोमोशन्स हम कुछ डेढ़ महीने के लिए ही करने की सोच रहे है क्योंकि दो महीने तक प्रोमोशन्स करने की वजह से हम और हमारे फैंस एक ही फिल्म के बारे में सुनते सुनते थक जाते हैं, बोर हो जाते हैं। हमारे समय में 1980-1990 के दशक में केवल ट्रेलर देख कर ही ऑडियंसेस फिल्म देखने का मन बना लिया करते। किन्तु हम लोग इस तरह से प्रोमोशन्स करते हैं जैसे कि भीख मांग रहे हों हमारी फिल्म आकर देखें, “भगवान के नाम पर हमारी फिल्में देख लो बाबा!!”
किसिंग दिवस पर भी बोले करण जौहर
हाल ही में मैं विदेश में था और जिस भी एलीवेटर (लिफ्ट) में मैं घुसा हर कोई मुझे किस करते हुए नजर आया -जैसे कि मुझे सिग्नल मिल रहा हो कि या तो तुम भी कोई साथी ढूंढ लो ? या फिर नहीं ढूंढने के लिए “लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड ले लो!! हंस कर बोले करण।
आलिया किस तरह सिद्धार्थ और फवाद में बैलेंस करेंगी तो बोली ”
मैं उनके ऊपर नहीं खड़ी हो रही हूँ बाबा!! यह एक लव ट्रायंगल कहानी है।
एक पत्रकार ने आलिया को शी संबोधित कर के कंफ्यूज किया तो करण बीच में बोले, “अक्सर मेरे को ही शी करके संबोधित कर देते हैं लोग!!
सिद्धार्थ से जब पुछा गया कि आलिया को आप ले उड़ेंगे या फिर फवाद को मिलेगी आलिया
फवाद बीच में टपक के बोले, “हम दोनों आलिया को फिफ्टी -फिफ्टी करके बाँट लेंगे!!
अब यह एक फैमिली ड्रामा है सो आलिया से जब पुछा गया कि ‘कपूर एंड संस’ आपकी पिछली फिल्म ‘शानदार’ से मिलती जुलती है तो वो झट से बोली, ” मेरी कोई भी फिल्म, “कपूर एंड संस” से मेल नहीं खाती है इसलिए मैंने इस फिल्म को करने के लिए हामी भरी। करण गुस्से में बोले, ” मैं आपको आश्वासन देता हूँ, “कपूर एंड संस” किसी भी एंगल से “शानदार” से मेल नहीं खाती है।
Friday, 12 February 2016
Thursday, 11 February 2016
सेक्सी का मतलब मेरे लिए किसी भी लड़की में आकर्षण होना जरुरी है” मनस्वी ममगई
INTERVIEW!! “सेक्सी का मतलब मेरे लिए किसी भी लड़की में आकर्षण होना जरुरी है” मनस्वी ममगई
12 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
मनस्वी ममगई ने एक्शन – जैक्सन में वैम्प का किरदार क्या किया उन्हें अब वही रोल मिल रहे हैं भले ही मनस्वी की पहली बॉलीवुड फिल्म तो बॉक्स ऑफिस पर पिट गयी है, किन्तु उनके रोल की सराहना की गयी। “जी हाँ एक्शन – जैक्सन ने चाहे बॉक्स ऑफिस पर अपने झंडे ना गाड़े हो किंतु मेरे काम की तारीफ सब ने की और इसी वजह से मुझे ढ़ेर सारी फिल्मों के ऑफर भी मिले हैं। एक्शन जैक्सन में मुझे काम करने का मौका मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है किन्तु वैम्प के रोल के ऑफर मैं सीधी तौर से ठुकरा रही हूँ। मुझे कंटेन्ट युक्त कहानी और बेहतरीन किरदार करने हैं फिर चाहे उस किरदार का स्क्रीन टाइम कम ही क्यों ना हो। मुझे बॉलीवुड और टॉलीवुड दोनों में ही काम करना है।”
मनस्वी ममगई ने एक्शन – जैक्सन में वैम्प का किरदार क्या किया उन्हें अब वही रोल मिल रहे हैं भले ही मनस्वी की पहली बॉलीवुड फिल्म तो बॉक्स ऑफिस पर पिट गयी है, किन्तु उनके रोल की सराहना की गयी। “जी हाँ एक्शन – जैक्सन ने चाहे बॉक्स ऑफिस पर अपने झंडे ना गाड़े हो किंतु मेरे काम की तारीफ सब ने की और इसी वजह से मुझे ढ़ेर सारी फिल्मों के ऑफर भी मिले हैं। एक्शन जैक्सन में मुझे काम करने का मौका मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है किन्तु वैम्प के रोल के ऑफर मैं सीधी तौर से ठुकरा रही हूँ। मुझे कंटेन्ट युक्त कहानी और बेहतरीन किरदार करने हैं फिर चाहे उस किरदार का स्क्रीन टाइम कम ही क्यों ना हो। मुझे बॉलीवुड और टॉलीवुड दोनों में ही काम करना है।”
आज जहाँ से आपने अपनी शुरुआत की थी वहां डिज़ाइनर चार्मी शाह की शो स्टॉपर बनकर क्या महसूस कर रही हैं ?
जी हाँ मिस टूरिज़्म इंटरनेशनल 2008 जीतने के बाद आज फिर एक बार चार्मी शाह की शो स्टॉपर बनी हूँ अच्छा लग रहा है। चार्मी ने मुझे घाघरा चोली पहना कर भी सेक्सी लुक दिया है। मेरा ऐसा मानना है कि भारतीय वेशभूषा में हर नारी काबिले तारीफ दिखती है। जरुरी नहीं है अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहन कर हम फैशन शो को आगे बढ़ायें।
आप कितना अंग प्रदर्शन करने में विश्वास करती हैं ? और आपकी अंग प्रदर्शन की लिमिट क्या है ?
देखिये अंग प्रदर्शन बिना करे भी हम सुंदर लग सकते हैं। मेरा यह मानना है कि कोई भी अभिनेत्री अपने टैलेंट के बलबूते पर ही किसी भी फ़िल्मी दुनिया फिर चाहे वह बॉलीवुड हो या फिर साउथ की फ़िल्में हो उनमें एक मुकाम हासिल कर सकती है यदि उसमें टैलेंट की कमी होगी तो उसका करियर कहीं नहीं पहुँच पायेगा। मुझे जैसे कि मैंने कहा है – कंटेंट ड्रिवेन करैक्टर ही करने का चाव है। इसलिए तो मैं अभी तक कहानी ही सुन रही हूँ। ज्यादातर किरदार जो मुझे सुनाये गए हैं वह वैम्प टाइप हैं तो उन्हें मैंने सिरे से नकार दिया है। मुझे क्वालिटी वर्क करना है नाकि क्वांटिटी – सब्र का फल मीठा ही होता है।
आपके हिसाब से सेक्सी का क्या मायने है ?
सेक्सी का मतलब मेरे लिए -किसी भी लड़की में आकर्षण होना जरुरी है। आप यदि एक लुक भी दे किसी को तो -वह उसमें सेक्सी लगनी चाहिए। मुझे नहीं लगता कि ढ़ेर सारा मेकअप लगा लिया जाये, हेयर स्टाइल बना लिए जाये और चमक- धमक के कपड़े पहने तो कोई भी आप के प्रति आकर्षित हो सकता है। असलियत जब उस व्यक्ति के सामने आयेगी तो आपका क्या असर होगा ? सो कम मेकअप, सीधा सिंपल हेयर स्टाइल और व्यक्तित्व को उभारने वाले सिम्पल कपड़े पहन कर भी आप सेक्सी लग सकते हैं। आज ही देखें डिज़ाइनर चार्मी ने अलग -अलग भारतीय वेशभूषा में हर एक मॉडल के व्यक्तित्व को एक अलग स्तर दे दिया है।”
आप टॉलीवुड और बॉलीवुड में किस निर्देशक के साथ काम करना चाहेंगी ?
मुझे भाषा से कोई परहेज़ नहीं है मैं हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु और किसी भी भारतीय भाषा की फिल्म में एक बेहतरीन कंटेंट युक्त चरित्र मिले तो जरुर उस फिल्म का हिस्सा बनना चाहूंगी। निर्देशक शंकर- साउथ फिल्म इंडस्ट्री के जाने -माने निर्देशक हैं, उनके साथ काम करने की चाह है और बॉलीवुड में कई ऑफर्स बड़े बैनर्स से मिल रहे हैं मुझे। बस यही आशा करती हूँ -कि कुछ अच्छा हो तो उनके साथ ही काम कर लूंगी – फ़िलहाल नाम नहीं लेना चाहूंगी किसी का मैं।”
बचपन से ही मेरा पसंदीदा जोनर “रोमांटिक जोनर” रहा है” कैटरीना कैफ/by lipika varma /Mayapuri
INTERVIEW!! “बचपन से ही मेरा पसंदीदा जोनर “रोमांटिक जोनर” रहा है” कैटरीना कैफ
11 FEB, 2016
COMMENTS: 0
लिपिका वर्मा
यदि आप लोग सोच रहे हैं कि कैटरीना कैफ को “फितूर का मतलब नहीं पता होगा तो आप गलत हैं दरअसल कैटरीना ने अपनी हिंदी और उर्दू पर इतनी मेहनत की है फिल्म “फितूर” के लिए कि वो अब फर्राटे से हिंदी और उर्दू बोल लेती हैं-
पेश है कैटरीना के साथ लिपिका वर्मा की एक बेहतरीन मुलाकात
आपके हिसाब से “फितूर” का क्या मतलब है ?
किसी चीज़ का जोश और जुनून सर चढ़ कर बोले और यदि कुछ गलत भी हो तो भी आप अपनी उस इच्छा को पूरा करना चाहें तो उसे “फितूर” कहते हैं।
आपका पसंदीदा जोनर कौन सा है ?
बचपन से ही मेरा पसंदीदा जोनर, “रोमांटिक जोनर” रहा है। मैं बचपन से लेकर आज तक, “गॉन विद द विंड” से ही प्रेरित रही हूँ। जब मैं छोटी बच्ची थी तब से ही मैं रोमांटिक किताबें पढ़ती आई हूँ। रोमांस यूनिवर्सल है (सार्वभौमिक) रोमांटिक किताबें पढ़ कर मैं दिन में सपने देखने लगी (डे ड्रीम करने लगी) नाटकीय तौर की रोमांटिक किताबें मेरे मन के बहुत ही करीब हैं। यह किताबें मेरे मन में रोमांस एवं रोमांच भर दिया करती। आज भी जवानी के इस पड़ाव पर मुझे यही किताबें पढ़नी अच्छी लगती हैं। रील पर भी रोमांस करना मुझे बहुत पसंद है। रोमांस जीवन में हमें आगे लेकर चलता है। जिनकी लाइफ में रोमांस ना हो उनके लिए जीवन मीनिंगलेस और नीरस होता है।
कुछ और सोच कर कैटरीना बोली, ” इस फिल्म में तब्बू मेरी माँ का किरदार निभा रही हैं। मोहब्बत में बुरा अनुभव होने की वजह से वह अपनी बेटी को दूर रखना चाहती हैं इस मोहब्बत के झमेले से। बदला लेने की भावना से हमेशा जलती ही रहती हैं। मेरे हिसाब से प्यार किसी को भी बदल सकता है, प्यार में इतनी ताकत होती है कि वो बदला लेने की भावना को भी खत्म कर सकता है। बदले की भावना रखने से कुछ भी कभी अच्छा नहीं होता है इसलिए आगे बढ़ो, भूल जाओ और सब की गलतियों को माफ़ करने की क्षमता रखो।”
कैटरीना जीवन से बहुत कुछ सिख गयी हैं और दार्शनिक तौर से बोली, ” हम जीवों को कोई हक़ नहीं बनता किसी को जज करने का। क्या सही है और क्या गलत है यह सिर्फ ऊपर जो बैठा है वह देख रहा है और हर इंसान के बारे में उसके कर्मों के बारे में लिख रहा है। समय आने पर सबकी गलती और अच्छाईयों पर उसी का हक है जजमेंट देने का।
सुन्दर दिखने का क्या मन्त्र है आपका ?
बहुत साधारण सा मंत्र है मन में श्रद्धा, आस्था और आशा और वह बच्चे जैसी क्वालिटी हमेशा से अपने अंदर पनपने देती हूँ यही सब मेरे लिए नार्मल रहने में बहुत सहायक साबित होता है। हमें जीवन में परफेक्ट रोमांस नहीं मिल पाता है किन्तु आदर्शवादी रोमांटिक भावनाओं को कभी मरने नहीं देना चाहिए। इन्हीं आशाओं की वजह से हम सब जीवन जी पाते हैं। नफरत और क्रोध और बदले की भावना लेकर कभी भी जीवन सुखमय नहीं हो पाता है। इसलिए फॉरगेट और फॉरगिव मंत्र को लेकर ही हमें आगे बढ़ना चाहिए।
प्रियंका ने अपने झंडे हॉलीवुड में गाड़े हैं इस बारे में क्या कहना चाहेंगी और आप वहां से यहाँ बॉलीवुड में पहुँच गई ?
प्रियंका बहुत ही फोकस्ड एक्ट्रेस हैं, यहाँ से लगभग 22 घंटे जहाज में बैठ कर वहां पहुँचना और अपना टैलेंट बिखेर पाना सही मायनों में बहुत ही कठिन बात है। यह आसान बात नहीं है वह बहुत ही बलवान हैं क्योंकि अंग्रेजों के बीच रहकर अपने टैलेंट का करतब दिखाकर उन्हें मंत्रमुग्ध करना कठिन काम है। मेरे हिसाब से उन्हें अपनी इस उपलब्धि का सीक्रेट एक किताब लिखकर सब के बीच पहुंचाना चाहिए, वह सबके लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। प्रियंका को यह सम्मान मिला इनक्रेडिबल (अविश्वसनीय) है।
कुछ रुक कर अपनी बॉलीवुड जर्नी के बारे में बोली, ” हमेशा से मुझे हिंदी फिल्मों में काम करने की इच्छा थी। मुझे हिंदी फिल्मों के गानों पर नाचना और उन्हें सुनना बहुत पसंद है। आज भी समय मिलने पर मैं म्यूजिक सुनती हूँ। मेरा सपना था बचपन से कि मैं बॉलीवुड में काम कर पाऊँ। मुझे यहाँ पर सबने स्वीकारा यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात रही। मैंने भी मेहनत करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी है। मेरा सपना बॉलीवुड में काम करने का कुछ हद तक पूरा हो गया है किन्तु अभी भी कुछ ऐसे जोनर है जैसे कॉमेडी और एक्शन करने की लालसा रखती हूँ मैं। मुझे बॉलीवुड में ही अपना एक मुकाम बनाना था और जो कुछ भी है मैं बहुत खुश हूँ।”
Wednesday, 10 February 2016
I need to know Priyanka’s secret: Katrina Kaif Feb 09, 2016 - Lipika Varma Email this page Printer-friendly version
I need to know Priyanka’s secret: Katrina Kaif
Feb 09, 2016 - Lipika Varma
Katrina Kaif talks about her upcoming film Fitoor, being romantic at heart and says Priyanka Chopra should write a book on how she cracked Hollywood
“Keeping faith, having belief and hope always, is an important thing in life. That child-like quality should remain in us. We may not get that perfect romance in life but keeping that idealistic belief will keep you fresh. Keeping hate and anger within yourself will ruin you totally. You will not get happiness back.” Katrina Kaif seems to be in a philosophical mood when she says this. But then she is a self-confessed romantic.
“As a child, too, I would always read romantic books. Romance is universal,” she adds with a blush.
In her upcoming film Fitoor, Tabu plays her mother. Says Katrina, “Tabu’s character has had some bitter experiences and thus she becomes revengeful. She turns so sour in life that she does not allow her daughter to experience romance. I feel those who live without love, their lives are like a desert without an oasis. Revenge can never make one happy in life, we need to forgive and forget.”
Besides Hindi, Kat’s Urdu, too, has become quite good, as she has had to use the language a lot in the movie. “That was a hard task for me. Though I have tried to come close to perfection in Urdu as well as Hindi, for me speaking a language that I have not learnt from childhood will always be hard work.”
While she had always wanted to be a part of the Hindi film industry, she realises the effort it took for Priyanka Chopra to crack Hollywood as well.
“Priyanka deserves a pat on her back for she has been able to make it to Hollywood. It takes a lot of strength to focus doing films in Hollywood. She surely has amazing strength. I need to know her secret to success out there. She should write a book on it.”
She adds, “Priyanka is really strong as she has to travel for almost 22 hours, face the arc lights and then excel among the Hollywood actors. She has proved herself.”
Talking about how she prepares for emotional scenes, Katrina says, “For emotional scenes, I pace myself and get to that frame of mind.”
When asked how she would rate herself as an actor, Katrina quickly adds, “Rate myself? I can only say that one becomes competent with experience. The time and experience that you put in your work brings changes for the better.”
Subscribe to:
Posts (Atom)